स्वास्थ्य/चिकित्सा: गठिया-अल्सर जैसी बीमारियों में आराम देने वाले धातकी के वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक फायदे

गठिया-अल्सर जैसी बीमारियों में आराम देने वाले धातकी के वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक फायदे
स्वस्थ जीवन हर कोई चाहता है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली और प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव के चलते सेहत को बेहतर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। आयुर्वेद में कई औषधीय हर्ब्स और पौधों को स्वस्थ रहने के लिए वरदान माना गया है। इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक पौधा है 'धातकी', जिसे 'धवई' और 'बहुपुष्पिका' के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। स्वस्थ जीवन हर कोई चाहता है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली और प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव के चलते सेहत को बेहतर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। आयुर्वेद में कई औषधीय हर्ब्स और पौधों को स्वस्थ रहने के लिए वरदान माना गया है। इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक पौधा है 'धातकी', जिसे 'धवई' और 'बहुपुष्पिका' के नाम से भी जाना जाता है।

धातकी आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पौधा भारत के लगभग हर राज्य में पाया जाता है। इस पौधे के फूल, फल, जड़ और छाल का इस्तेमाल अलग-अलग आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है, जो इसके बहुमुखी फायदों को दर्शाता है।

अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (एनआईएच) के मुताबिक, धातकी का नाम 'वुडफोर्डिया फ्रुटिकोसा' है। इसकी शाखाओं और पत्तियों पर काले बिंदु होते हैं, जो इसे अन्य पौधों से अलग पहचान दिलाता है। इसके फूल चमकीले लाल रंग के होते हैं, जबकि फल पतले और अंडाकार होते हैं, जिनमें भूरे रंग के छोटे बीज भरे होते हैं। एनआईएच वैज्ञानिकों के शोध में पता चला है कि धातकी की पत्तियों में ऐसे रसायन होते हैं, जो ल्यूकोरिया, अनियमित मासिक धर्म, पेशाब में जलन और रक्तस्राव जैसी बीमारियों में लाभकारी साबित हो सकते हैं।

धातकी की पत्तियों का इस्तेमाल केवल मानव स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पशुओं में भी किया जाता है। रिसर्च बताती है कि इसे बुखार, खांसी, गठिया, अल्सर जैसी बीमारियों के इलाज में तथा पशुओं में दूध बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

प्राचीन ग्रंथ चरक संहिता में धातकी को मूत्रवर्धक के रूप में वर्णित किया गया है। इसके साथ ही, आयुर्वेद में आसव और अरिष्ट जैसी दवाइयों के निर्माण में यह एक आवश्यक घटक है, क्योंकि यह किण्वन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में दस्त और पेचिश जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में भी इसका व्यापक उपयोग किया जाता है। इसके फूलों का चूर्ण शहद या छाछ के साथ लेने से तुरंत आराम मिलता है और बार-बार पेशाब जाने की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकता है। घावों और रक्तस्राव को रोकने के लिए इसके फूलों का चूर्ण या लेप लगाने से चोट या घाव जल्दी भरते हैं, सूजन कम होती है और संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक धातकी को त्वचा संबंधी विकारों के उपचार में भी अपनाते हैं। हालांकि, धातकी के अनेक लाभों के बावजूद इसका सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए, क्योंकि कुछ मामलों में गलत मात्रा में लेने से दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

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Created On :   10 Aug 2025 9:18 AM IST

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