राष्ट्रीय: उत्तराखंड नैनी झील का एयरेशन सिस्टम हुआ जर्जर, ऑक्सीजन का स्तर हुआ कम

नैनीताल, 13 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तराखंड के नैनीताल की नैनी झील गंभीर संकट की चपेट में है। करीब 18 वर्षों से कृत्रिम ऑक्सीजन पर जीवित इस झील का इकोसिस्टम अब 'ऑक्सीजन सपोर्ट' के बिना दम तोड़ने की स्थिति में पहुंच गया है, क्योंकि इसका एयरेशन सिस्टम अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
झील में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए साल 2007 में ठंडी सड़क पर दो फ्लोमीटर और पाइपलाइन सिस्टम लगाए गए थे। इस तकनीक से झील के पानी में ऑक्सीजन की कमी पूरी की जाती थी, जिससे पानी की गुणवत्ता सुधरी और जलीय जीवों को जीवन मिल रहा था।
इस सिस्टम में लगे फ्लोमीटर की औसत आयु 10 साल और पाइप-डिस्क की आयु महज 5 साल की होती है। दोनों की समयसीमा क्रमशः 2017 और 2013 में पूरी हो चुकी है। अब हालात यह हैं कि दोनों फ्लोमीटर में से एक के चार और दूसरे के दो पाइप बिल्कुल काम नहीं कर रहे। बचे हुए पाइपों में भी प्रवाह बहुत धीमा है, जबकि कुछ पाइप फटने से ऑक्सीजन का लीकेज हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तत्काल प्रभाव से नया एयरेशन सिस्टम नहीं लगाया गया तो झील में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से घट जाएगा। इसका सीधा असर झील के पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ेगा, जलीय जीवों की मौत होगी, पानी की गुणवत्ता गिरेगी और पर्यटन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
झील संरक्षण को लेकर झील विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ल ने बताया, "एयरेशन सिस्टम की ट्यूब्स में गड़बड़ी सामने आने पर शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। शासन ने विभाग से कुछ बिंदुओं पर जवाब मांगा है, जो भेजा जा चुका है। उनका कहना है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। फिलहाल, नैनी झील की सांसें टूट रही हैं और समय रहते समाधान न निकला तो यह झील एक बार फिर अपने अस्तित्व के संकट से जूझने को मजबूर हो जाएगी।"
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा, "झील में एयरेशन प्रोग्राम झील विकास प्राधिकरण के माध्यम से चलाया जा रहा है। इस दौरान एयरेशन मशीन में जो भी उपकरण खराब या पुराने हो चुके हैं उनका एक प्रपोजल तैयार किया गया है। जल्द तकनीकी एजेंसी की सहायता लेकर इन उपकरणों को बदला जाएगा और खराब हो चुके उपकरणों को ठीक करवाया जाएगा।"
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Created On :   13 Aug 2025 12:26 PM IST