संस्कृति: राजस्थान के गांव में है ऐसा मंदिर, जहां बाल हनुमान संग विराजते हैं श्रीहरि, जीवन की बाधाओं का करते हैं निवारण

राजस्थान के गांव में है ऐसा मंदिर, जहां बाल हनुमान संग विराजते हैं श्रीहरि, जीवन की बाधाओं का करते हैं निवारण
जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को है। नंदलाल के हर मंदिर में अलग ही रौनक बिखरी हुई है। देश भर में श्रीहरिनारायण के कई मंदिर हैं जो भक्ति और चमत्कार को समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के बूंदी में स्थित भगवान श्री सत्यनारायण का है। खास बात है कि इस मंदिर में भगवान अपने भक्त 'बाल हनुमान' के साथ विराजते हैं।

बूंदी, 13 अगस्त (आईएएनएस)। जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को है। नंदलाल के हर मंदिर में अलग ही रौनक बिखरी हुई है। देश भर में श्रीहरिनारायण के कई मंदिर हैं जो भक्ति और चमत्कार को समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के बूंदी में स्थित भगवान श्री सत्यनारायण का है। खास बात है कि इस मंदिर में भगवान अपने भक्त 'बाल हनुमान' के साथ विराजते हैं।

राजस्थान के बूंदी जिले की लाडनूं तहसील में बसा छोटा सा गांव कोयल है, जो अपनी सादगी और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां स्थित श्री सत्यनारायण और बाल हनुमान मंदिर भक्तों को शांति, समृद्धि और जीवन की बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद देता है। समुद्र तल से 330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर, ग्रामीण सुंदरता और प्राकृतिक शांति के लिए मशहूर है, जो इसे तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए बेहद खास बनाता है।

सत्यनारायण मंदिर का इतिहास 200 साल से भी पुराना है, जो भगवान विष्णु के रूप सत्यनारायण प्रभु को समर्पित है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र में पहले घना जंगल था, जहां साधु-संत तपस्या करते थे। एक साधु की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सत्यनारायण ने उन्हें दर्शन दिया। साथ ही, एक माहेश्वरी परिवार को स्वप्न में भगवान ने मंदिर स्थापना का आदेश दिया। इसके बाद, इस पहाड़ी पर सत्यनारायण मंदिर का निर्माण हुआ और परिसर में ही बाल हनुमान की मूर्ति स्थापित की गई।

गर्भगृह में भगवान सत्यनारायण और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है और बगल में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। सत्यनारायण मंदिर में एक छोटा सा प्रांगण भी है, जिसका उपयोग प्रार्थना, कथा और सामाजिक बैठकों के लिए किया जाता है। त्योहारों के दौरान, मंदिर को सजाने के लिए रंगोली, रोशनी और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें ग्रामीण बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मंदिर का धार्मिक महत्व इसकी चमत्कारी शक्तियों को और बढ़ाता है। भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने से मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ और चोला चढ़ाने की परंपरा भक्तों में लोकप्रिय है। इसके साथ ही पूर्णिमा, एकादशी, गुरुवार के दिन भी भगवान की यहां विशेष पूजा होती है।

सत्यनारायण मंदिर पहुंचना बेहद आसान है। कोयल, लाडनूं-निम्बी जोधा मार्ग पर स्थित है और आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन लाडनूं (13-18 किमी) और निकटतम हवाई अड्डा जयपुर (184 किमी) है। बस या निजी वाहन से निम्बी जोधा (3 किमी) से कोयल गांव तक पहुंचना सुविधाजनक है।

मंदिर में पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा और हवन का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयंती (12 अप्रैल 2025, चैत्र पूर्णिमा) भी यहां का प्रमुख उत्सव है, जिसमें सुंदरकांड पाठ, हनुमान चालीसा और भजनों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

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Created On :   13 Aug 2025 7:46 PM IST

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