राजनीति: झारखंड पूर्व सीएम शिबू सोरेन के संस्कार भोज में शामिल हुए राज्यपाल, सीएम हेमंत और परिजनों से की मुलाकात

झारखंड  पूर्व सीएम शिबू सोरेन के संस्कार भोज में शामिल हुए राज्यपाल, सीएम हेमंत और परिजनों से की मुलाकात
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासियों के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संस्कार भोज में शनिवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने दिवंगत नेता को नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों से मिलकर संवेदना प्रकट की।

रामगढ़, 16 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासियों के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संस्कार भोज में शनिवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने दिवंगत नेता को नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों से मिलकर संवेदना प्रकट की।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार शनिवार को स्मृति शेष-राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संस्कार भोज में सम्मिलित होने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेमरा, रामगढ़ स्थित आवास पहुंचे। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

संस्कार भोज में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिजनों से मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राजनीतिक हस्तियां, सामाजिक कार्यकर्ता और आमजन शामिल हुए। तमाम लोगों ने अपने नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

बता दें कि 4 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हुआ था। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। शिबू सोरेन, जिन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से भी जाना जाता था, झारखंड की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बैनर तले आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए कड़ा संघर्ष किया था।

शिबू सोरेन का जन्म बिहार के हजारीबाग में 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लंबी संघर्ष की थी। 1977 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1980 से वह लगातार कई बार सांसद चुने गए।

बिहार से अलग राज्य 'झारखंड' बनाने के आंदोलन में भी उनकी निर्णायक भूमिका रही है। वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

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Created On :   16 Aug 2025 3:46 PM IST

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