राष्ट्रीय: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया शुभांशु शुक्ला और अन्य गगन यात्रियों को सम्मानित

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया शुभांशु शुक्ला और अन्य गगन यात्रियों को सम्मानित
शुभांशु शुक्ला ने स्पेस में मेथी और मूंग की खेती की थी। रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला एवं अन्य गगन यात्रियों को सम्मानित किया।

नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस) भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपनी स्पेस यात्रा के दौरान अंतरिक्ष में खेती की थी। शुभांशु शुक्ला ने स्पेस में मेथी और मूंग की खेती की थी। रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला एवं अन्य गगन यात्रियों को सम्मानित किया।

रविवार को नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने शुभांशु शुक्ला से कहा कि आपके अंदर का किसान अंतरिक्ष में जाकर भी बाहर नहीं निकला। भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है, पर भारत का कोई किसान अंतरिक्ष में जाकर मेथी और मूंग की खेती करेगा, ऐसा तो कभी सोचा भी न था। निश्चित रूप से आपका अनुभव हमारे आगामी मिशन में बड़ा मददगार सिद्ध होगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी। यह बताएगी कि चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों न हो, यदि हृदय में श्रद्धा हो और कर्म में शक्ति हो, तो आकाश भी हमारी सीमा नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि शुभांशु भले ही वायु सेना की वर्दी पहनते हों, लेकिन जब वे अंतरिक्ष में गए, तो वह केवल सैन्य बल के ही नहीं, भारत के ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के प्रतिनिधि बने। आपका यह योगदान इतिहास में दर्ज किया जाएगा।

राजनाथ सिंह ने कहा, “आज हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं, जहां अंतरिक्ष केवल सैन्य शक्ति या तकनीकी कौशल का प्रतीक नहीं रह गया है। यह मानव सभ्यता की सामूहिक यात्रा का नया पड़ाव है। आज भारत चन्द्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। आज भारत गगनयान जैसे मिशन के लिए भी पूरी तरह तैयार है। साथियों, मैं इसे केवल तकनीकी उपलब्धि के रूप में नहीं देखता, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत का वह नया अध्याय है, जहां हम विश्व की बड़ी स्पेस पावर्स के बीच पूरे गर्व के साथ खड़े हो रहे हैं।”

रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल प्रयोगशालाओं और लॉन्च व्हीकल्स तक सीमित नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टि का प्रतीक है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान तक, हमने यह सिद्ध किया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि इच्छाशक्ति असीमित हो, तो कोई भी लक्ष्य हमारे सामने छोटा पड़ जाता है। भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है। भारत, अंतरिक्ष को केवल रिसर्च के क्षेत्र के रूप में नहीं देखता है बल्कि हम इसे आने वाले कल की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य के रूप में देखते हैं।

रक्षा मंत्री का कहना है कि इसलिए इस यात्रा में भारत पीछे नहीं रह सकता। हमें आगे बढ़ना है, हमें नेतृत्व करना है। यही कारण है कि आज हम अपने उन नायकों का अभिनंदन कर रहे हैं जो केवल अंतरिक्ष यात्री ही नहीं बल्कि इस राष्ट्रीय स्वप्न के अग्रदूत भी हैं।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से प्राप्त तकनीकें, चाहे वे संचार उपग्रह हों, मौसम की निगरानी हो, या प्राकृतिक आपदाओं से निपटना हो, आज भारत के गांव-गांव और खेत-खेत तक सेवा पहुंचा रही हैं। आने वाले समय में, अंतरिक्ष खनन और डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन मानव सभ्यता की दिशा बदल देंगे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि वह कुछ समय पहले इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में गए थे। वहां उनके उपकरण और वहां की ट्रेनिंग का माहौल रक्षा मंत्री को बड़ा प्रभावित करने वाला लगा। उन्होंने कहा कि अभी हमारे सामने, उसी इंस्टीट्यूट की सफल प्रतिमूर्ति के रूप में शुभांशु दिखाई दे रहे हैं।

राजनाथ ने कहा कि उन्हें यह देखकर गर्व हो रहा है कि शुभांशु ने वह जिजीविषा, वह साहस दिखाया है, जो भारत की मिट्टी का प्रतिनिधित्व करता है। रक्षा मंत्री का कहना है कि शुभांशु शुक्ला जैसे व्यक्तित्व हम सबके लिए गर्व का विषय हैं। सामान्यतया एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया 2 से ढाई वर्षों तक चलती है, लेकिन शुभांशु शुक्ला ने अपनी लगन और समर्पण से इसे मात्र ढाई महीनों में पूरा कर दिखाया। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण है, बल्कि हम भारतवासियों के परिश्रमी मन का भी प्रतीक है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह केवल विज्ञान की विजय नहीं है, यह विश्वास की गूंज भी है। यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, यह साधना का संदेश भी है। यह केवल भारत का गौरव नहीं है, यह सम्पूर्ण मानवता की प्रगति का प्रमाण है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि यह अंतरिक्ष यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक शुरुआत है। अभी भारत को अंतरिक्ष सेक्टर में बहुत लंबी यात्रा तय करनी है।

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Created On :   24 Aug 2025 12:53 PM IST

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