राजनीति: बिहार चुनाव दरभंगा में भाजपा का किला अटल या उलटफेर तय?

बिहार चुनाव  दरभंगा में भाजपा का किला अटल या उलटफेर तय?
बिहार चुनाव की सरगर्मियों के बीच मिथिलांचल की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले दरभंगा विधानसभा क्षेत्र पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम रहा है। दरभंगा विधानसभा क्षेत्र बिहार के दरभंगा जिले में स्थित है, जो मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है और बागमती नदी के किनारे बसा है।

पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार चुनाव की सरगर्मियों के बीच मिथिलांचल की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले दरभंगा विधानसभा क्षेत्र पर सबकी निगाहें टिकी हैं। यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम रहा है। दरभंगा विधानसभा क्षेत्र बिहार के दरभंगा जिले में स्थित है, जो मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है और बागमती नदी के किनारे बसा है।

यहां का इतिहास सोलहवीं सदी से शुरू होता है, जब यह दरभंगा राज की राजधानी था। कला, साहित्य, शिक्षा और धार्मिक धरोहरों के लिए पहचान रखने वाला यह क्षेत्र आज भी मिथिला की सांस्कृतिक धड़कन माना जाता है।

दरभंगा की पहचान मखाना, आम और मछली के व्यापार से लेकर सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों तक फैली है। दरभंगा राज किला, श्यामा मंदिर, अहिल्या स्थान, कुशेश्वरस्थान पक्षी अभ्यारण्य और बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल इस जिले की विशिष्ट पहचान बनाते हैं।

यह क्षेत्र शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का भी बड़ा केंद्र है, जहां दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, निर्माणाधीन एम्स, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएं मौजूद हैं।

राजनीतिक इतिहास की ओर देखें तो 1951 में विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से यहां कुल 17 चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती दौर में यह कांग्रेस का मजबूत गढ़ था, जिसने पहले चार चुनावों सहित कुल छह बार जीत दर्ज की। समय के साथ कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती गई और 1972 में भारतीय जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन) ने पहली बार जीत दर्ज की। इसके बाद भाजपा ने यहां लगातार अपनी पकड़ मजबूत की और 1995 के बाद तो यह सीट लगभग भाजपा की स्थायी हो गई। केवल वर्ष 2000 में राजद ने इसे छीनने में सफलता पाई, वह भी मात्र 795 वोटों के मामूली अंतर से।

वर्तमान में इस सीट पर भाजपा विधायक संजय सरावगी लगातार पांच बार से जीत का परचम लहरा रहे हैं। इसका अर्थ साफ है कि दरभंगा आज भाजपा का है। 2025 का चुनाव दिलचस्प इसलिए है क्योंकि विपक्ष यहां अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीति बना रहा है। राजद और महागठबंधन इस सीट पर भाजपा को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे। वहीं, कांग्रेस भी अपने पुराने गढ़ को वापस पाने के लिए सक्रिय है।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार दरभंगा विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,30,299 है, जिनमें 2,77,358 पुरुष और 2,52,941 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाता 3,14,719 हैं, जिनमें 1,65,411 पुरुष, 1,49,295 महिलाएं और 13 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या चुनावी समीकरण को नया मोड़ दे सकती है।

दरभंगा का सामाजिक और राजनीतिक समीकरण जातीय आधार पर भी दिलचस्प है। यहां ब्राह्मण, कायस्थ, दलित और अल्पसंख्यक मतदाता बड़ी संख्या में हैं। भाजपा को शहरी और उच्च जाति का परंपरागत समर्थन मिलता रहा है, जबकि राजद का आधार यादव और मुस्लिम वोटरों पर टिका है। विकास, रोजगार, बाढ़ की समस्या और स्वास्थ्य सुविधाएं इस बार के चुनाव में अहम मुद्दे बन सकते हैं।

इतिहास और मौजूदा समीकरणों को देखें तो भाजपा फिलहाल मजबूत स्थिति में है। दरभंगा विधानसभा की जनता विकास और विरासत दोनों को महत्व देती है, और यही तय करेगा कि इस बार भी भाजपा का किला कायम रहेगा या कोई नया राजनीतिक अध्याय लिखा जाएगा।

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Created On :   28 Aug 2025 3:42 PM IST

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