कानून: झारखंड में नगर निकाय के चुनाव नहीं कराने पर हाईकोर्ट नाराज, सशरीर हाजिर हुए सीएस और नगर विकास सचिव

झारखंड में नगर निकाय के चुनाव नहीं कराने पर हाईकोर्ट नाराज, सशरीर हाजिर हुए सीएस और नगर विकास सचिव
झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकायों के चुनाव कराने के अदालती आदेश की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को इससे संबंधित अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव एवं नगर विकास सचिव सशरीर उपस्थित हुए।

रांची, 2 सितंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकायों के चुनाव कराने के अदालती आदेश की अवहेलना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को इससे संबंधित अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव एवं नगर विकास सचिव सशरीर उपस्थित हुए।

जस्टिस आनंदा सेन की पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना की जा रही है, ऐसे में क्यों नहीं मुख्य सचिव के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?

कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई के दौरान वे नगर निकाय के चुनाव को लेकर टाइमलाइन निर्धारित कर अदालत में प्रस्तुत करें।

इसके पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य प्रशासन न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर 'रूल ऑफ लॉ' की धज्जियां उड़ा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।

जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद 4 जनवरी 2024 को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराए जाएं। इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ है। इसे लेकर अब कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत में दलीलें पेश करते हुए कोर्ट से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।

झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है। 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया करीब एक साल पहले शुरू की है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

अप्रैल 2023 के बाद से राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का प्रबंधन सरकारी प्रशासकों के हाथों में सौंप दिया गया है। पिछले करीब दो वर्षों से निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रह गई है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   2 Sept 2025 1:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story