राजनीति: उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बोले आनंद दुबे-राजनीति संभावनाओं का खेल, कब क्या हो कोई नहीं जानता

मुंबई, 8 सितंबर (आईएएनएस)। संसद भवन में 9 सितंबर यानी मंगलवार को उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है। सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं और विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी हैं। इसी क्रम में शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है, कब क्या होगा कोई नहीं जानता।
शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति पद के चुनाव और राजनीति पर बोलते हुए बताया कि 9 सितंबर को चुनाव होना है, जिसमें सीपी राधाकृष्णन और बी. सुदर्शन रेड्डी उम्मीदवार हैं। चुनाव में लोकसभा-राज्यसभा सांसद वोट करेंगे और संख्या बल एनडीए के पक्ष में है, लेकिन विपक्ष पूरी कोशिश कर रहा है। उसका कहना है कि लोकतंत्र में हार-जीत सामान्य है, चुनाव लड़ना जरूरी है। विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी अच्छी स्थिति में हैं और कई सांसदों से संपर्क किया जा रहा है। 2022 के चुनाव का उदाहरण देकर कहा कि इस बार हालात बदले हैं और विपक्ष मजबूत होकर जीतने की कोशिश करेगा। राजनीति संभावनाओं का खेल है,कब क्या होगा कोई नहीं जानता।
आनंद दुबे ने तृणमूल विधायक के बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा समय-समय पर हिंसा में लिप्त रहती है। बंगाल में ममता सरकार स्थिर है, जिसे वे अस्थिर करना चाहते हैं। भाजपा कई कदम उठाती है, लेकिन ममता बनर्जी को सत्ता से नहीं हटा पाती। ममता ने बंगाली अस्मिता, संस्कृति और विकास के लिए काम किए हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि भाजपा की पहचान हिंसा, तेजाब, बमबारी और गोलीबारी से है। राज्य की कानून-व्यवस्था पर सरकार सक्षम है।
दुबे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि चाहे अखबार हों या टीवी चैनल, हर जगह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (देवा भाऊ) का प्रचार हो रहा है। अब ये कौन कर रहा है? करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर खर्च हो रहे हैं। इतना ज्यादा प्रचार क्यों? अगर खुद कुछ किया ही नहीं, तो अपनी वाहवाही करने का क्या मतलब है? विकास कार्यों पर पैसा लगाने के बजाय सड़कों पर गड्ढे और गणपति पर्व की शुरुआत भी खराब सड़कों में हुई। पूर्ण बहुमत वाले मुख्यमंत्री के लिए यह आचरण शोभनीय नहीं। चाहे वे पैसा प्रचार पर लगाएं या सेवा पर, लेकिन जनता इसे पसंद नहीं कर रही।
आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का कहना है कि काशी मथुरा के बारे में संघ आंदोलन नहीं करेगा लेकिन निश्चित रूप से स्वयंसेवक इन मुद्दों पर अपना सहभाग दे सकते हैं, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ये स्पष्ट किया है।
इस पर आनंद दुबे ने कहा कि आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और शिवसेना जैसे संगठन समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं। कई मामले न्यायालय में लंबित हैं और विश्वास है कि न्याय अवश्य मिलेगा। काशी और मथुरा हिंदू समाज की आस्था के केंद्र हैं, जिन्हें अतीत में मुग़ल आक्रांताओं व आतंकवादियों ने मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाकर चोट पहुंचाई। अंततः जीत न्याय और हिंदुओं की होगी। आंदोलन करना है या नहीं, यह संगठन तय करेगा, लेकिन न्यायालय के फैसले का सम्मान जरूरी है। राम मंदिर की तरह ही अन्य विवादों का समाधान भी अदालत से ही होगा।
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Created On :   8 Sept 2025 7:00 PM IST