राष्ट्रीय: सियाचिन में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए झारखंड के अग्निवीर का शव पहुंचा रांची, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

सियाचिन में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए झारखंड के अग्निवीर का शव पहुंचा रांची, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के लद्दाख (सियाचिन) में शहीद हुए झारखंड के वीर सपूत अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी का शव बुधवार शाम को बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एयरपोर्ट पर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया।

रांची, 10 सितंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख (सियाचिन) में शहीद हुए झारखंड के वीर सपूत अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी का शव बुधवार शाम को बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एयरपोर्ट पर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया।

राज्यपाल ने कहा कि सियाचिन में ग्लेशियर में हिमस्खलन की घटना में देवघर के वीर सपूत नीरज कुमार चौधरी की शहादत मर्माहत करने वाली है। उन्होंने उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य को अपने इस वीर सपूत पर गर्व है, जिसने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार उनकी हरसंभव सहायता करेगी।

उल्लेखनीय है कि झारखंड कैबिनेट ने शहीद होने वाले अग्निवीरों के आश्रितों को झारखंड सरकार ने आर्थिक मदद के साथ एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का निर्णय पिछले ही साल लिया था। ढाई साल पहले भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती हुए नीरज चौधरी को देश सेवा का जुनून बचपन से ही था। 24 वर्षीय नीरज अपने परिवार और गांव का सहारा थे। उनके पिता अनिल चौधरी किसान हैं और पूरे परिवार ने बेटे पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है।

शहादत की खबर सोमवार को जैसे ही कजरा गांव पहुंची, पूरे इलाके में मातम छा गया। लोग समूह बनाकर शहीद के घर पहुंचने लगे। ग्रामीणों ने कहा कि नीरज बचपन से ही होनहार, अनुशासित और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत थे। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और उनका नाम हमेशा स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा।

नीरज चौधरी भारतीय सेना के साथ लद्दाख (सियाचिन) जैसे कठिन और दुर्गम मोर्चे पर तैनात थे। देश की सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में ड्यूटी निभाते हुए उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना है।

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Created On :   10 Sept 2025 8:56 PM IST

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