राजनीति: मध्य प्रदेश जबलपुर में यूरिया-डीएपी की किल्लत से किसान परेशान, मटर की बुवाई पर संकट

मध्य प्रदेश जबलपुर में यूरिया-डीएपी की किल्लत से किसान परेशान, मटर की बुवाई पर संकट
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के किसानों के लिए इन दिनों सबसे बड़ी समस्या यूरिया और डीएपी खाद की किल्लत बन गई है। शहपुरा, चरगवां, बेलखेड़ा, नीमखेड़ा समेत कई क्षेत्रों के किसान पिछले कई दिनों से खाद की तलाश में हैं। मटर की बुवाई का समय होने के बावजूद खाद उपलब्ध न होने से किसान परेशान और नाराज हैं।

जबलपुर, 20 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के किसानों के लिए इन दिनों सबसे बड़ी समस्या यूरिया और डीएपी खाद की किल्लत बन गई है। शहपुरा, चरगवां, बेलखेड़ा, नीमखेड़ा समेत कई क्षेत्रों के किसान पिछले कई दिनों से खाद की तलाश में हैं। मटर की बुवाई का समय होने के बावजूद खाद उपलब्ध न होने से किसान परेशान और नाराज हैं।

खाद वितरण के लिए जबलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर शहपुरा कृषि उपज मंडी परिसर और डबल लॉक सेंटर पर सुबह से ही किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं। भूखे-प्यासे किसान घंटों तक इंतजार करते हैं, लेकिन खाद समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती। स्थिति संभालने के लिए प्रशासन को पुलिस बल भी तैनात करना पड़ा है।

किसान जितेंद्र सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि हम रात 3 बजे से लाइन में लगे हैं। मुझे 180 नंबर का टोकन मिला है; सुबह से बिना कुछ खाए-पिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रही। वहीं, एक अन्य किसान ने कहा कि डीएपी खाद लेने के लिए सुबह 5 बजे से लाइन में खड़े हैं, लेकिन अब तक खाद नहीं मिली। यूरिया का स्टॉक गोदाम में है, फिर भी वितरण नहीं हो रहा।

एक और किसान ने बताया कि 22 अगस्त को मेरा टोकन कटा था, लेकिन एक महीने से खाद के लिए परेशान हूं। बार-बार लाइन लगाने के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही है।

इस मामले में कृषि अधिकारी एसके परतेती ने बताया कि किसानों को टोकन के आधार पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है। जिन किसानों का नंबर पहले से दर्ज है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यूरिया की नई खेप सोमवार-मंगलवार तक आने की संभावना है और जैसे-जैसे खाद उपलब्ध होगी, किसानों को वितरित कर दी जाएगी।

किसानों का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार खाद की आपूर्ति की मांग उठाई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। प्रशासन रोजाना पर्याप्त स्टॉक होने का दावा करता है, लेकिन जमीनी हकीकत में किसान घंटों लाइन लगाने के बाद भी खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   20 Sept 2025 3:09 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story