मध्य प्रदेश-राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत का ममाला एनएचआरसी ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को मध्य प्रदेश और राजस्थान के स्वास्थ्य विभागों के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया। यह नोटिस दोनों राज्यों में कथित तौर पर नकली कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत के मामले में जारी किया गया है।
एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक शिकायत पर ध्यान दिया, जिसमें दवा सुरक्षा और नियामक तंत्र में गंभीर खामियों का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण यह त्रासदी हुई।
शिकायत में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और विदिशा जिलों के साथ-साथ राजस्थान के कुछ जिलों में हुई घटनाओं में शीर्ष मानवाधिकार निकाय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है, जहां कथित तौर पर खांसी की दवा पीने से बच्चों की मौत हो गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुरुआती परीक्षणों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले पदार्थ नहीं मिले, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन बच्चों की मौत का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है।
कई मामलों में किडनी फेल होने और अन्य जटिलताओं की बात सामने आई है। शिकायतकर्ता ने इसे बच्चों के बुनियादी अधिकारों, जैसे जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षित दवाओं के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
शिकायत में कफ सिरप के निर्माण, वितरण, नियामक खामियों और संभावित मिलावट की विशेष जांच की मांग की गई है।
एनएचआरसी ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया है। उन्हें तुरंत जांच करने, कफ सिरप के नमूने एकत्र करने, क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में उनकी जांच कराने और नकली दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नकली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला की गहन जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही, संबंधित राज्यों के सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को नमूने एकत्र करने और उनकी जांच करने का आदेश दिया गया है।
एनएचआरसी ने कहा, "सभी संबंधित राज्यों के मुख्य ड्रग्स कंट्रोलरों को नकली दवाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है।"
सभी अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर एनएचआरसी को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) जमा करने के लिए कहा गया है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
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Created On :   6 Oct 2025 10:42 PM IST