सुरक्षा: 26/11 के बाद लश्कर मुख्यालय पर हमला न कर कांग्रेस ने किया था विश्वासघात प्रदीप भंडारी

26/11 के बाद लश्कर मुख्यालय पर हमला न कर कांग्रेस ने किया था विश्वासघात प्रदीप भंडारी
भाजपा ने गुरुवार को कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कई बार देश की सुरक्षा से समझौता किया है। इसमें 26/11 के आतंकवादी हमले का भी जिक्र है। उस वक्त देश के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कड़ी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उसे मंजूरी नहीं दी थी।

नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)। भाजपा ने गुरुवार को कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कई बार देश की सुरक्षा से समझौता किया है। इसमें 26/11 के आतंकवादी हमले का भी जिक्र है। उस वक्त देश के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कड़ी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उसे मंजूरी नहीं दी थी।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद कांग्रेस के पास पाकिस्तान के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुख्यालय पर हमला करने का मौका था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी इसके खिलाफ थे।

उन्होंने अपने दावे को मजबूत करने के लिए पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की किताब ‘चॉइसेस: इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी’ के कुछ हिस्से शेयर किए। मेनन ने किताब में लिखा है कि हमले के दौरान और उसके बाद सरकार में कई अनौपचारिक बातचीत और बैठकें हुईं, जिसमें जवाबी कार्रवाई पर चर्चा हुई। तब के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन ने राजनीतिक नेतृत्व के साथ मिलकर सैन्य और अन्य विकल्पों पर विचार किया। सैन्य प्रमुखों ने प्रधानमंत्री को अपनी राय भी दी।

मेनन ने अपनी किताब में लिखा है कि तब के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी भी जवाबी कार्रवाई के समर्थन में थे। उन्होंने कहा, "विदेश सचिव के तौर पर मैंने अपने काम में बाहरी और अन्य प्रभावों का आकलन किया और विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा कि हमें जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसा दिखाना चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय भरोसे को बनाए रखा जा सके और जनता की भावनाएं शांत हो सकें। मेरा मानना था कि पाकिस्तान ने एक सीमा पार कर दी है और इस घटना के लिए सामान्य प्रतिक्रिया से ज्यादा कुछ जरूरी था। मेरी प्राथमिकता थी कि मुरीदके में लश्कर के मुख्यालय या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लश्कर के कैंपों पर खुला हमला किया जाए और उनके समर्थक आईएसआई के खिलाफ गुप्त कार्रवाई हो। मुखर्जी मुझसे सहमत थे और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि हमारे सारे विकल्प खुले हैं।"

भंडारी ने इसे देश के साथ विश्वासघात बताते हुए पोस्ट में लिखा, "प्रणब मुखर्जी के आग्रह के बावजूद सोनिया गांधी और राहुल गांधी की यूपीए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। यह देशभक्ति के खिलाफ एक बड़ा धोखा है।"

भाजपा नेता ने कई उदाहरण दिए जब तत्कालीन सरकारें और कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के पक्ष में नजर आईं। उन्होंने कहा कि नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक, गांधी परिवार का रिकॉर्ड बार-बार लापरवाही और भारत की संप्रभुता से समझौता करने का रहा है।

भंडारी ने कहा, "गांधी-वाड्रा परिवार की विरासत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ लगातार समझौता करने की रही है।"

भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि इंदिरा गांधी 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण "स्माइलिंग बुद्धा" के दो महीने बाद ही पाकिस्तान के साथ परमाणु तकनीक साझा करने के लिए तैयार थीं। उन्होंने पूछा, "आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पड़ोसी को मजबूत क्यों बनाया जाए?"

भंडारी ने कहा कि राजीव गांधी उस समय "परमाणु निरस्त्रीकरण" की बात कर रहे थे, जबकि चीन परमाणु ताकत बन चुका था और पाकिस्तान तेजी से हथियार जमा रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने को रोका, जिससे हमें जरूरी परमाणु सामग्री और वैश्विक मदद नहीं मिल पाई।

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Created On :   29 May 2025 11:15 AM IST

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