स्वास्थ्य/चिकित्सा: मोटे बच्चों में चर्म रोग होने की संभावना अधिक शोध

मोटे बच्चों में चर्म रोग होने की संभावना अधिक  शोध
मोटापे से पीड़ित बच्चों में सोरायसिस, एटोपिक डर्माटाइटिस और एलोपेसिया एरीटा जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी के कारण होने वाले चर्म रोग (आईएमएसडी) होने की आशंका अधिक होती है। एक शोध में यह बात सामने आई है।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। मोटापे से पीड़ित बच्चों में सोरायसिस, एटोपिक डर्माटाइटिस और एलोपेसिया एरीटा जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी के कारण होने वाले चर्म रोग (आईएमएसडी) होने की आशंका अधिक होती है। एक शोध में यह बात सामने आई है।

इस शोध के लिए 2009 से 2020 तक 21,61,900 कोरियाई बच्चों का विश्लेषण किया गया। इसमें कहा गया है कि संतुलित वजन बनाए रखने से कुछ चर्म रोगों की संभावना कम हो सकती है।

शोध का उद्देश्य यह जानना था कि क्या मोटापा या शरीर के वजन में होने वाले परिवर्तनों का आईएमएसडी से कोई संबंध है।

आईएमएसडी से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों की जिंदगी में खुशहाली की कमी हो जाती है क्योंकि इसका असर भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक स्थितियों पर पड़ता है।

बाल रोगियों में सोरायसिस (त्वचा का ज्यादा बढ़कर लटक जाना) और एटोपिक डर्मेटाइटिस (एक तरह की खुजली) के उपचार में कई जेनेरिक दवाओं के आशाजनक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन अभी भी बच्चों में आईएमएसडी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बाधाएं हैं। इसमें क्लिनिकल परीक्षणों की कमी के साथ उपचार के विकल्पों की भी कमी है।

आईएमएसडी ऐसे रोग हैं जो शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में गड़बड़ी के कारण होते हैं। कभी प्रतिरक्षा प्रणाली जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है तो कभी यह सही तरीके से काम नहीं करती है।

हाल के वर्षों में बचपन में मोटापे की व्यापकता में काफी वृद्धि हुई है, जिससे यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन गया है जिसे महामारी के प्रभावों और देशव्यापी लॉकडाउन ने और भी बदतर बना दिया है।

कोरिया में सोल नेशनल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के चर्म रोग विज्ञान विभाग के सेओंग राय किम ने कहा, ''इससे पहले कई अध्ययनों में बचपन के मोटापे और आईएमएसडी के बीच संबंध का अध्ययन किया गया है। हालांकि इनमें से ज्यादातर अध्ययनों में सिर्फ एक समय के डेटा को देखा गया या इस बीमारी से पीड़ित और इससे अक्षुण्ण समूहों की तुलना की गई है। बहुत कम अध्ययनों में बच्चों पर लंबे समय तक नजर रखी गई है ताकि यह देखा जा सके कि उनके शरीर का वजन इन त्वचा संबंधी स्थितियों के विकास को कैसे प्रभावित करता है।''

किम ने कहा, ''इसका मतलब यह है कि हम अब भी निश्चित रूप से नहीं जानते हैं कि मोटापा या अधिक वजन एटोपिक डर्मेटाइटिस और सोरायसिस का कारण बनता है या नहीं । इसके अलावा अभी तक किसी भी अध्ययन ने एलोपेसिया एरीटा (सूजन के साथ गंजापन) पर मोटापे या बच्चे के वजन में जल्दी-जल्दी होने वाले गतिशील परिवर्तनों से त्वचा रोग के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है।''

जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेटिव डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, विशेषकर स्कूल जाने से पहले उनमें एटोपिक डर्मेटाइटिस की रोकथाम के लिए वजन को नियंत्रित रखने और स्वस्थ आहार रणनीतियों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया है।

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Created On :   21 Aug 2024 5:33 PM IST

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