राजनीति: बिहार विधानसभा में कटा बवाल कुर्सी उछाली, विधायकों और मार्शलों में धक्का-मुक्की, तेजस्वी यादव सरकार पर बरसे

बिहार विधानसभा में कटा बवाल कुर्सी उछाली, विधायकों और मार्शलों में धक्का-मुक्की, तेजस्वी यादव सरकार पर बरसे
बिहार विधानसभा में मंगलवार को खूब हंगामा हुआ। सदन में विपक्ष के विधायकों ने रिपोर्टिंग टेबल की ओर कुर्सियों को उठाया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इसी दौरान मार्शल और विधायकों के बीच हाथापाई हुई, जिसमें एक मार्शल के कपड़े फट गए। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव की बार-बार चेतावनी के बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा। नतीजन, कई बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

पटना, 22 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा में मंगलवार को खूब हंगामा हुआ। सदन में विपक्ष के विधायकों ने रिपोर्टिंग टेबल की ओर कुर्सियों को उठाया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इसी दौरान मार्शल और विधायकों के बीच हाथापाई हुई, जिसमें एक मार्शल के कपड़े फट गए। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव की बार-बार चेतावनी के बावजूद सदन में हंगामा जारी रहा। नतीजन, कई बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्षी विधायकों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा किया, जिसके कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा। जैसे ही दूसरा सत्र शुरू हुआ, विपक्षी विधायक सदन के वेल में आ गए। इस दौरान मतदाता सूची पुनरीक्षण पर बहस की मांग करते हुए नारे लगाने लगे।

सदन में हंगामे के दौरान विपक्ष के विधायकों ने टेबल पलटने की कोशिश की। इस घटना के बाद अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने विधायकों को सदन में व्यवस्था बनाए रखने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को पहले सत्र में बोलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उन्होंने इस अवसर का उपयोग नहीं किया। उन्होंने हंगामे के बीच शुरुआत में कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित किया। हालांकि, अगली बार भी कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव विरोध स्वरूप काला कुर्ता पहनकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने कहा, "बिहार में लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। चुनाव आयोग की प्रक्रिया सही नहीं है। मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा के लिए सलाहकार समिति की बैठक बुलाई जानी चाहिए। जब मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं, तो विधेयकों का क्या मतलब है? अगर मतदाता मतदान से वंचित रहेंगे, तो हम कैसे कह सकते हैं कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं?"

उन्होंने आगे कहा, "अगर हम लोकतंत्र के मंदिर में मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा नहीं करेंगे, तो फिर कहां करेंगे? राज्य का लोकतंत्र खतरे में है।"

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Created On :   22 July 2025 6:02 PM IST

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