राजनीति: पीएम मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड, तो रामगोपाल यादव बोले, 'इसे ऐसे मत देखिए'

पीएम मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड, तो रामगोपाल यादव बोले, इसे ऐसे मत देखिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के 4,078 दिन पूरे कर लिए। इस तरह उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 24 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1977 तक लगातार 4,077 दिनों तक प्रधानमंत्री रहने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। लेकिन, समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने इसे लेकर अपना तर्क दिया है।

नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के 4,078 दिन पूरे कर लिए। इस तरह उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 24 जनवरी, 1966 से 24 मार्च, 1977 तक लगातार 4,077 दिनों तक प्रधानमंत्री रहने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। लेकिन, समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने इसे लेकर अपना तर्क दिया है।

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, "आप इसे ‘कंटिन्यूटी’ और ‘डिस-कंटिन्यूटी’ के तौर पर मत देखिए। अगर आप पद की दृष्टि से देखेंगे, तो आपको यह पता होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी पिछले 11 साल से प्रधानमंत्री के पद पर हैं, जबकि इंदिरा गांधी 17 साल तक प्रधानमंत्री रहीं। ऐसी स्थिति में इंदिरा गांधी ने लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली है।"

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करने के क्रम में अंग्रेजी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा था कि अगर आपको प्रगति करनी है, तो इसके लिए आपको अंग्रेजी सीखनी ही होगी। उनके इसी बयान पर रामगोपाल यादव ने कहा कि हर व्यक्ति का अपना-अपना दृष्टिकोण होता है, लेकिन मेरी दृष्टि में हिंदी सर्वोत्तम भाषा है। हमने उसी भाषा में शिक्षा ग्रहण की है।

उन्होंने कहा कि हमारे ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम हिंदी ही रहा है। हां, आगे चलकर हमारा माध्यम भी अंग्रेजी हो गया, लेकिन इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमने इसी भाषा में शिक्षा ग्रहण की है।

हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें हम खुद को बहुत ही आसानी से व्यक्त कर लेते हैं। लेकिन, कितना भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति क्यों न हो, वह खुद को अंग्रेजी भाषा में खुलकर व्यक्त नहीं कर पाता। कई बार उसे अंग्रेजी भाषा में खुद को व्यक्त करने के लिए सोचना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आप मातृभाषा के महत्व को खारिज नहीं कर सकते हैं।

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Created On :   25 July 2025 11:37 AM IST

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