समाज: गुजरात में एमएसपी पर खरीदी के लिए सैटेलाइट से फसल सत्यापन शुरू, किसानों को मिले एसएमएस तो घबराएं नहीं सरकार

गुजरात में एमएसपी पर खरीदी के लिए सैटेलाइट से फसल सत्यापन शुरू, किसानों को मिले एसएमएस तो घबराएं नहीं सरकार
गुजरात सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना के तहत खरीफ फसलों की खरीद को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सैटेलाइट इमेज आधारित फसल सत्यापन और डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की है। इस व्यवस्था का पहला प्रयोग मूंगफली की खरीदी के लिए किया जा रहा है।

गांधीनगर, 17 सितंबर (आईएएनएस)। गुजरात सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना के तहत खरीफ फसलों की खरीद को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सैटेलाइट इमेज आधारित फसल सत्यापन और डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की है। इस व्यवस्था का पहला प्रयोग मूंगफली की खरीदी के लिए किया जा रहा है।

कृषि विभाग की ओर से किए गए डिजिटल सर्वे में पाया गया कि जिन किसानों ने एमएसपी पर मूंगफली बेचने के लिए पंजीकरण कराया है, उनमें से 10 प्रतिशत से कम सर्वे नंबरों पर मूंगफली की बुवाई नहीं पाई गई। ऐसे किसानों को एसएमएस के जरिए सूचित किया गया है।

इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अंजू शर्मा ने कहा कि इन संदेशों से किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। जिन किसानों ने वास्तव में अपने खेत में मूंगफली बोई है, वे अपने ग्राम सेवक या ग्राम सर्वेयर से संपर्क कर फसल का सत्यापन करवा सकते हैं।

किसानों को सुविधा देने के लिए सरकार ने 'डिजिटल क्रॉप सर्वे–गुजरात' मोबाइल ऐप भी उपलब्ध कराया है, जिससे किसान खुद भी अपनी फसल की जानकारी अपलोड कर सकते हैं।

डॉ. शर्मा ने बताया कि अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी योजना का लाभ देने के लिए मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन के लिए एमएसपी पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।

17 सितंबर, 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 8.79 लाख किसान मूंगफली के लिए, 66,000 किसान सोयाबीन के लिए, 5,000 किसान उड़द के लिए और 1,100 से अधिक किसान मूंग के लिए पंजीकरण करा चुके हैं।

डॉ. शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि एसएमएस मिलने के बावजूद जिन किसानों ने मूंगफली बोई है, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि खरीदी केवल फील्ड वेरिफिकेशन के बाद ही होगी। ऐसे सर्वे नंबरों की सूची जिलों को भेज दी गई है ताकि स्थानीय स्तर पर जांच पूरी की जा सके।

किसानों को निर्देश दिए गए हैं कि मोबाइल ऐप का उपयोग कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग 'वंदे गुजरात चैनल' के माध्यम से दी जा रही है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल की जियो-टैग फोटो भी सबूत के तौर पर रखें।

डॉ. शर्मा ने दोहराया कि जो किसान वास्तव में मूंगफली की खेती कर रहे हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। सत्यापन पूरा होने के बाद उनकी फसल की खरीदी एमएसपी पर सुनिश्चित की जाएगी।

गौरतलब है कि गुजरात में कृषि क्षेत्र राज्य की कुल कार्यबल का 65 प्रतिशत हिस्सा है और राज्य में 90 लाख किसान और खेत मजदूर हैं। राज्य खरीफ और रबी दोनों मौसमों में प्रमुख फसलों जैसे बाजरा, मक्का, धान, मूंगफली, कपास, गेहूं, सरसों, जीरा और गन्ने की खेती करता है।

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Created On :   17 Sept 2025 11:55 PM IST

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