व्यापार: सेबी ने एफपीआई में भाग लेने वाले नागरिकों के लिए नियम आसान बनाने का प्रस्ताव रखा

सेबी ने एफपीआई में भाग लेने वाले नागरिकों के लिए नियम आसान बनाने का प्रस्ताव रखा
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेशी फंडों में निवेश के उद्देश्य से भारतीय निवासियों और म्यूचुअल फंडों के लिए आसान नियम प्रस्तावित किए हैं। नियामक ने भारत में आईएफएससी में स्थित उन रिटेल स्कीम को एफपीआई के रूप में पंजीकृत करने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें भारतीय निवासी प्रायोजक या प्रबंधक हों।

मुंबई, 9 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेशी फंडों में निवेश के उद्देश्य से भारतीय निवासियों और म्यूचुअल फंडों के लिए आसान नियम प्रस्तावित किए हैं। नियामक ने भारत में आईएफएससी में स्थित उन रिटेल स्कीम को एफपीआई के रूप में पंजीकृत करने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें भारतीय निवासी प्रायोजक या प्रबंधक हों।

सेबी की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि आईएफएससी नियमों के अनुरूप, निवेश की सीमा टारगेटेड कॉर्पस के 10 प्रतिशत तक सीमित है।

नियामक ने आईएफएससी एफपीआई के लिए प्रायोजक और प्रबंधक की जगह एक फंड प्रबंधन इकाई या सहयोगी को नियुक्त करने का सुझाव दिया गया है। सेबी ने भारतीय म्यूचुअल फंडों को भारत में निवेश वाले विदेशी फंडों में निवेश करने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव दिया है।

इन प्रस्तावों का उद्देश्य भारतीय निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने हेतु निवेश विकल्पों को बढ़ाना है। अगर इन्हें लागू किया जाता है, तो ये सुधार भारत के घरेलू सेविंग पूल और अंतरराष्ट्रीय अवसरों के बीच की खाई को पाट सकते हैं।

वर्तमान में, केवल सेबी के मानदंडों को पूरा करने वाले कुछ संस्थागत निवेशक ही विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए एफपीआई के रूप में पंजीकरण कर सकते हैं। प्रस्तावित बदलाव आईएफएस में मौजूद खुदरा निवेश योजनाओं पर केंद्रित हैं, जो भारत-आधारित संस्थाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को एक रेगुलेटेड फ्रेमवर्क के माध्यम से घरेलू पूंजी को विदेशी परिसंपत्तियों में निवेश करने की अनुमति देगा।

वर्तमान में, नॉन रेजिडेंट इंडियन (एनआरआई), भारत के ओवरसीज सिटीजन (ओसीआई) या निवासी भारतीय एफपीआई के रूप में पंजीकरण के पात्र नहीं हैं। हालांकि, एनआरआई, ओसीआई या भारतीय नागरिकों को एफपीआई का हिस्सा बनने की अनुमति है।

भारतीय रिजर्व बैंक की एलआरएस स्कीम नागरिकों को विदेशी निवेश के लिए सालाना 2.5 लाख रुपए तक की अनुमति देती है। खुदरा निवेशक विदेशी बाजार में निवेश के लिए अप्रत्यक्ष माध्यमों और वैश्विक म्यूचुअल फंड में फंडिंग (एफओएफ) के अवसरों पर निर्भर करते हैं।

आईएफएससी एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) है जो भारत के भीतर एक वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में कार्य करता है, जिससे संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन और संचालन करने की अनुमति मिलती है।

पूंजी बाजार नियामक ने इन प्रस्तावों पर 29 अगस्त तक जनता से प्रतिक्रिया मांगी है।

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Created On :   9 Aug 2025 5:46 PM IST

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