स्वास्थ्य/चिकित्सा: भारत में बैन होनी चाहिए एंटी-एजिंग दवाएं? विशेषज्ञों ने जताई चिंता

नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)। एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला की असमय मौत ने कॉस्मेटिक चीजों के इस्तेमाल और एंटी-एजिंग दवाओं के दुष्प्रभावों पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि एंटी-एजिंग दवाएं और इंजेक्शन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, इनसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
साल 2002 के मशहूर म्यूजिक वीडियो 'कांटा लगा' से लोकप्रिय हुईं शेफाली की 27 जून को मुंबई में 42 वर्ष की आयु में मौत हो गई थी। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया जा रहा है। हालांकि, यह भी सामने आया है कि वह एंटी-एजिंग इंजेक्शन का कॉकटेल ले रही थीं, और कथित तौर पर उपवास के दौरान खुद ही ये इंजेक्शन लगाती थीं।
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, "एंटी-एजिंग दवाएं बहुत लोकप्रिय हो रही हैं, लेकिन इनका नियमन नहीं है। इनमें से कई उत्पादों की प्रभावशीलता के लिए वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हैं और लंबे समय तक उपयोग से हानिकारक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।"
केरल स्टेट आईएमए के रिसर्च सेल के संयोजक डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया, "एंटी-एजिंग कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है। ऐसे उत्पाद प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलटते या रोकते नहीं हैं। कुछ दवाओं से त्वचा का रंग गोरा करना संभव है, लेकिन यह एंटी-एजिंग के समान नहीं है।"
पुलिस जांच के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि शेफाली स्किन व्हाइटनिंग और एंटी-एजिंग ट्रीटमेंट, खासकर ग्लूटाथियोन और विटामिन सी का इस्तेमाल लगभग आठ साल से कर रही थीं। यह सब बिना किसी चिकित्सकीय निगरानी के चल रहा था।
डॉ. जयदेवन ने बताया, "जब दवा को सीधे नस में इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है, तो इसकी सांद्रता खून और ऊतकों में बहुत अधिक हो सकती है। ऐसे इंजेक्शनों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित करना जरूरी है।"
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस की रिपोर्ट्स का जिक्र किया, जहां ग्लूटाथियोन इंजेक्शनों में विषाक्त पदार्थ और गंभीर दुष्प्रभाव पाए गए।
भारत में कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। हाल के आईएसएपीएस ग्लोबल सर्वे के अनुसार, भारत सौंदर्य और कॉस्मेटिक प्रोसीजर के लिए दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल है।
डॉ. गुलेरिया ने बताया, "ऐसी दवाओं का नियमन जरूरी है। अगर इनके सुरक्षा और प्रभावशीलता के सबूत नहीं हैं और ये हानिकारक हो सकती हैं, तो इन पर प्रतिबंध लगना चाहिए। यह नियमन अन्य सप्लीमेंट्स पर भी लागू होने चाहिए जो मांसपेशियों को बनाने के अलावा कई अन्य कारणों से शरीर में पहुंचाए जाते हैं।"
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Created On :   5 July 2025 5:44 PM IST