राजनीति: फिच ने भारत की रेटिंग स्टेबल आउटलुक के साथ ‘बीबीबी-‘ पर रखी बरकरार

फिच ने भारत की रेटिंग स्टेबल आउटलुक के साथ ‘बीबीबी-‘ पर रखी बरकरार
फिच रेटिंग्स ने भारत की क्रेडिट रेटिंग स्टेबल आउटलुक के साथ 'बीबीबी-' पर बरकरार रखी है, जो देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बाहरी वित्तीय स्थिति के समर्थन में है।

नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। फिच रेटिंग्स ने भारत की क्रेडिट रेटिंग स्टेबल आउटलुक के साथ 'बीबीबी-' पर बरकरार रखी है, जो देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बाहरी वित्तीय स्थिति के समर्थन में है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, "पिछले दो वर्षों में गति धीमी होने के बावजूद, भारत का आर्थिक परिदृश्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में मजबूत बना हुआ है।"

फिच रेटिंग्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, "हमारा अनुमान है कि मार्च 2026 (वित्त वर्ष 26) में जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो वित्त वर्ष 25 से अपरिवर्तित रहेगी और 'बीबीबी' मीडियन 2.5 प्रतिशत से काफी ऊपर रहेगी।"

फिच का अनुमान है कि अमेरिकी टैरिफ वृद्धि का भारत की जीडीपी वृद्धि पर सीधा प्रभाव मामूली रहेगा क्योंकि अमेरिका को निर्यात जीडीपी का केवल 2 प्रतिशत है।

उसका यह भी मानना ​​है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता पूरी होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा की गई 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि को अंततः कम कर दिया जाएगा।

भारत की आर्थिक वृद्धि, वृहद स्थिरता और बेहतर होती राजकोषीय विश्वसनीयता के साथ, प्रति व्यक्ति जीडीपी सहित इसके संरचनात्मक मानकों में लगातार सुधार लाएगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इससे मध्यम अवधि में भारत के ऋण में मामूली गिरावट की संभावना बढ़ सकती है।

हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ में की गई बढ़ोतरी को अपने पूर्वानुमान के लिए मध्यम नकारात्मक जोखिम मानते हुए निजी निवेश में कमी आने की उम्मीद जताई है।

फिच रेटिंग्स ने कहा, "अमेरिकी टैरिफ हमारे पूर्वानुमान के लिए एक मध्यम नकारात्मक जोखिम हैं, लेकिन इनमें अनिश्चितता का स्तर काफी ज्यादा है। ट्रंप प्रशासन 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत का हेडलाइन टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, हालांकि हमारा मानना ​​है कि अंततः इसे कम करने पर बातचीत की जाएगी।"

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जारी सार्वजनिक पूंजीगत व्यय अभियान और स्थिर निजी खपत के चलते घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी। हालांकि, अमेरिका में टैरिफ के बढ़ते जोखिमों के मद्देनजर निजी निवेश मध्यम रहने की संभावना है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के राजकोषीय मानक 'क्रेडिट वीकनेस' हैं, जिसमें 'बीबीबी' समकक्षों की तुलना में उच्च घाटा, डेट और डेट सर्विस शामिल हैं। शासन संकेतकों और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के पिछड़े संरचनात्मक मानक भी रेटिंग पर एक बाधा हैं।

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Created On :   25 Aug 2025 3:23 PM IST

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