पीएम मोदी के आइडिया के मुरीद हुए सुभाष घई, बोले- 'इसे एक्सपर्ट विद्यादान कहते हैं'

पीएम मोदी के आइडिया के मुरीद हुए सुभाष घई, बोले- इसे एक्सपर्ट विद्यादान कहते हैं
फिल्ममेकर सुभाष घई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस अपील की खुलकर सराहना की है, जिसमें उन्होंने महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियों से अपने-अपने शहरों के स्कूलों में जाकर बच्चों को अपनी सफलता की कहानी, स्किल और अनुभव शेयर करने की बात कही थी।

मुंबई, 23 नवंबर (आईएएनएस)। फिल्ममेकर सुभाष घई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस अपील की खुलकर सराहना की है, जिसमें उन्होंने महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियों से अपने-अपने शहरों के स्कूलों में जाकर बच्चों को अपनी सफलता की कहानी, स्किल और अनुभव शेयर करने की बात कही थी।

सुभाष घई ने अपनी पोस्ट में उसी अपील को हाइलाइट करते हुए इसे सबसे बड़ा ‘विद्यादान’ बताया। उन्होंने इसे देशसेवा का सबसे खूबसूरत रूप करार दिया।

सुभाष घई ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ''विद्यादान… मुझे हमारे प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी पर बहुत गर्व हुआ, जब उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को जीत की बधाई देते हुए उनसे अनुरोध किया कि वे व्यक्तिगत रूप से अपने शहर के स्कूलों में बच्चों और ग्रुप्स के पास जाएं और अपनी स्किल्स, स्पिरिट और एक्सपीरियंस शेयर करें।"

सुभाष घई का मानना है कि देश को मजबूत बनाने में यही चीजें असली काम करती हैं। उन्होंने लिखा, "यही देश बनाने में आपका असली योगदान है। एक्सपर्ट्स इसे विद्यादान कहते हैं।”

हाल में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए ट्रॉफी अपने नाम की थी। पीएम मोदी ने न सिर्फ टीम को बधाई दी थी, बल्कि खिलाड़ियों से समाज में प्रेरणा बांटने की अपील भी की थी।

घई लंबे समय से शिक्षा और युवा सशक्तीकरण के मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने विचार फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं।

हाल ही में एक पोस्ट के जरिए उन्होंने बताया था कि बॉलीवुड की हॉलीवुड से तुलना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा की विरासत का अपमान भी है।

फिल्म निर्माता ने बताया था कि हिंदी सिनेमा का इतिहास समृद्ध है और उसे किसी विदेशी इंडस्ट्री से तुलना के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इसके साथ ही टॉलीवुड और ऑलीवुड जैसे नामों पर भी नाराजगी जताई थी और इसे कलाकारों के प्रति एक तरह का अपमान बताया।

उनका कहना था कि ऐसे नाम रखने से दुनियाभर में यह संदेश जाता है कि ये फिल्म इंडस्ट्रीज किसी विदेशी इंडस्ट्री की नकल कर रही हैं, जबकि हमारे पास अपनी अनूठी संस्कृति और पहचान है।

सुभाष घई की संस्था ‘व्हिस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल’ भी युवाओं को क्रिएटिव स्किल्स सिखाने का काम करती है।

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Created On :   23 Nov 2025 9:34 PM IST

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