यूपी पंचायत चुनाव से पहले संभल में 48 लोगों पर एफआईआर दर्ज, फर्जी दस्तावेज के जरिए वोट बनवाने का आरोप

यूपी पंचायत चुनाव से पहले संभल में 48 लोगों पर एफआईआर दर्ज, फर्जी दस्तावेज के जरिए वोट बनवाने का आरोप
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से ठीक पहले संभल के गांव विलालपत से सामने आया फर्जी वोटर बनाने का मामला प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गया है। फर्जी दस्तावेज और गलत आधार संशोधन के जरिए मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के आरोप में 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

संभल, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से ठीक पहले संभल के गांव विलालपत से सामने आया फर्जी वोटर बनाने का मामला प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गया है। फर्जी दस्तावेज और गलत आधार संशोधन के जरिए मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के आरोप में 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

यह कार्रवाई लेखपाल गुन्नू बाबू कीअसमोली थाने में दर्ज शिकायत पर की गई। मामला तब उजागर हुआ, जब जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह हाल ही में गांव विलालपत पहुंचे। वे वहां एसआईआर के कार्यों का निरीक्षण कर रहे थे। इसी दौरान गांव से जुड़ी गंभीर शिकायतें उनके संज्ञान में आईं।

शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल जांच समिति गठित की। समिति ने 19 दिसंबर को अपनी जांच आख्या सौंपी, जिसमें स्पष्ट किया गया कि कई लोगों ने बीएलओ को फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए, जिनके आधार पर उनके नाम मतदाता सूची में दर्ज कर दिए गए। यह सीधा-सीधा चुनावी प्रक्रिया से छेड़छाड़ का मामला बताया गया।

जांच रिपोर्ट के आधार पर 20 दिसंबर को जिलाधिकारी ने सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए। इसके बाद 22 दिसंबर को तहसीलदार ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। लेखपाल गुन्नू बाबू ने बताया कि डीएम संभल के आदेश पर असमोली थाने में मामला दर्ज किया गया

एफआईआर में ग्राम विलालपत के 48 नामजद आरोपी शामिल हैं, जिनमें पुरुष और महिला दोनों हैं। सभी पर फर्जी दस्तावेज के जरिए वोट बनवाने का आरोप है।

जांच आख्या में यह भी कहा गया है कि ग्राम विलालपत में आधार कार्ड में गलत तरीके से संशोधन कराकर वोट बनवाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जांच का दायरा आगे और बढ़ सकता है तथा आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं।

यह मामला सिर्फ फर्जी वोट बनवाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पंचायत चुनाव से पहले लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बिना किसी अंदरूनी मिलीभगत के संभव था? क्या कार्रवाई सिर्फ 48 नामों तक सीमित रहेगी या फर्जी वोटर नेटवर्क की पूरी परतें उखड़ेंगी?

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Created On :   24 Dec 2025 5:48 PM IST

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