स्वास्थ्य/चिकित्सा: अमेरिका में एक हफ्ते में 12 बच्चों की फ्लू से मौत, इस सीजन में कुल 216 बच्चे जान गंवा चुके हैं सीडीसी

न्यूयॉर्क, 3 मई (आईएएनएस)। अमेरिका में फ्लू सीजन में अब तक कुल 216 बच्चों की मौत हो चुकी है। 26 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में इन्फ्लूएंजा से 12 बच्चों की मौत हुई है। यह जानकारी अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने दी है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या अब तक के किसी भी सामान्य फ्लू सीजन (गैर-महामारी) में बच्चों की सबसे ज्यादा मौतों का रिकॉर्ड है। इससे पहले 2023-2024 के सीजन में 207 बच्चों की मौत हुई थी।
सीडीसी का कहना है कि फ्लू का असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन यह सीजन सभी उम्र के लोगों के लिए बहुत गंभीर रहा है- बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों के लिए भी। 2017-2018 के बाद यह पहला 'गंभीर' फ्लू सीजन है।
अब तक अमेरिका में इस सीजन में फ्लू के कारण करीब 4.7 करोड़ लोग बीमार हुए हैं, 6 लाख 10 हजार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है और लगभग 26 हजार लोगों की जान जा चुकी है।
सीडीसी ने सलाह दी है कि 6 महीने या उससे ज़्यादा उम्र के सभी लोगों को हर साल फ्लू का टीका जरूर लगवाना चाहिए, जब तक फ्लू का वायरस फैला हुआ हो।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के डॉक्टर शॉन ओ’लेरी का कहना है कि इस बार बच्चों को फ्लू का टीका कम लगवाया गया है, जो सीजन के गंभीर होने का एक बड़ा कारण है। टीका जरूरी है क्योंकि यह अस्पताल में भर्ती होने और मौत की संभावना को बहुत हद तक कम कर देता है, भले ही यह फ्लू के सभी लक्षणों को न रोक पाए।
बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी यह सीजन मुश्किल भरा रहा है। सीडीसी के पास फ्लू के कारण अस्पताल में भर्ती हुए लगभग 5,200 वयस्कों की जानकारी है, जिनमें से 95% को पहले से कोई न कोई बीमारी थी। वहीं, अस्पताल में भर्ती करीब 2,000 बच्चों में से सिर्फ़ 53 प्रतिशत बच्चों को ही पहले से कोई बीमारी थी, जैसे अस्थमा या मोटापा।
सीडीसी ने यह नहीं बताया कि जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से कितनों को टीका लगा था।
अच्छी बात यह है कि फरवरी से ही फ्लू के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है और पिछले हफ्ते सभी 50 राज्यों में फ्लू की गतिविधि 'कम' या 'बहुत कम' रही।
बचपन के टीकाकरण की दरें भी घट रही हैं। इसका कारण इंटरनेट पर फैल रही झूठी बातें और कोविड-19 वैक्सीन को लेकर पैदा हुई राजनीतिक बहस है।
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Created On :   3 May 2025 8:30 AM IST