जम्मू परेड ग्राउंड में विजयदशमी की धूम, रावण दहन और भव्य जुलूस की तैयारी

जम्मू परेड ग्राउंड में विजयदशमी की धूम, रावण दहन और भव्य जुलूस की तैयारी
जम्मू में गुरुवार को विजयदशमी का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, खासकर ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में, जहां मुख्य आयोजन आज बाद में होगा।

जम्मू, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू में गुरुवार को विजयदशमी का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, खासकर ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में, जहां मुख्य आयोजन आज बाद में होगा।

तैयारियां अंतिम चरण में हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उपस्थित लोगों की सुरक्षा के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है। सुरक्षा व्यवस्था को काफी सख्त किया गया है।

शाम को रावण के पुतलों को आग लगाई जाएगी, जिसके बाद एक भव्य जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें पूरे क्षेत्र से भीड़ उमड़ेगी।

कारीगरों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि परेड ग्राउंड में दशहरा मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पिछले 40 सालों से उनके परिवार पुतले बनाकर और उत्सव में भाग लेकर इस आयोजन में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि जम्मू में विजयादशमी सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है, जहां हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी एक साथ मिलकर इसे मनाते हैं।

एक कारीगर ने कहा कि कुछ राजनीतिक तत्व इस सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन 'आई लव मोहम्मद' और 'आई लव महाकाल' जैसे संदेश हमारी एकता को दर्शाते हैं। हम सभी से आपसी भाईचारा और शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।

एक अन्य कारीगर ने कहा कि हम लेह और श्रीनगर जैसी जगहों के लिए पुतले बनाते रहे हैं। इसकी तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। हालांकि, मौजूदा हालात के कारण लेह में समारोह रद्द कर दिए गए हैं। लेकिन, यहां परेड ग्राउंड में रावण का एक बड़ा पुतला स्थापित किया गया है और समारोह के लिए तैयार है।

विजयादशमी नवरात्रि और दुर्गा पूजा उत्सवों के समापन का प्रतीक है। यह भगवान राम की राक्षसराज रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दिन नई शुरुआत, नवीनीकरण और अहंकार, अहंकार और अन्याय जैसे नकारात्मक गुणों के विनाश का भी प्रतीक है।

आध्यात्मिक रूप से दशहरा इस विश्वास को पुष्ट करता है कि अंततः धर्म और सत्य की ही बुराई पर विजय होती है, चाहे अंधकार की शक्तियां कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हों। जैसे-जैसे पुतले जलते हैं और उत्सव शुरू होता है, संदेश स्पष्ट रहता है: अच्छाई की हमेशा बुराई पर विजय होती है।

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Created On :   2 Oct 2025 5:01 PM IST

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