आईक्यू और सीखने की क्षमता पर असर डाल सकता है फ्लोराइड, क्या कहती है नई रिसर्च?

आईक्यू और सीखने की क्षमता पर असर डाल सकता है फ्लोराइड, क्या कहती है नई रिसर्च?
पेयजल में फ्लोराइड को दशकों से दांत सड़ने से रोकने का एक सफल उपचार माना गया है। लेकिन हाल के वर्षों में यह चर्चा आम रही है कि क्या इसी फ्लोराइड का संबंध बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता या आईक्यू से भी है। अब एक नया अध्ययन इस बात को अलग नजरिए से पेश कर रहा है। सामान्य स्तर पर फ्लोराइड संभवतः जोखिम भरा कम बल्कि लाभदायक भी हो सकता है।

नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। पेयजल में फ्लोराइड को दशकों से दांत सड़ने से रोकने का एक सफल उपचार माना गया है। लेकिन हाल के वर्षों में यह चर्चा आम रही है कि क्या इसी फ्लोराइड का संबंध बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता या आईक्यू से भी है। अब एक नया अध्ययन इस बात को अलग नजरिए से पेश कर रहा है। सामान्य स्तर पर फ्लोराइड संभवतः जोखिम भरा कम बल्कि लाभदायक भी हो सकता है।

अमेरिका में किए गए इस नए अध्ययन में देखा गया कि जिन किशोरों को बचपन से ऐसे फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन मिला जो आम तौर पर सार्वजनिक पानी में मिलने वाला था, उन्होंने स्कूल में गणित, भाषा-शब्दावली और अन्य सीखने-समझने वाले टेस्ट में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह संकेत देता है कि सामान्य फ्लोराइड स्तरों पर बच्चों की कॉग्निटिव क्षमता पर हानिकारक असर जैसा डर शायद यथार्थ न हो।

वहीं दूसरी ओर, 2024 में जारी एक व्यापक समीक्षा-विश्लेषण (मेटा एनालिसिस) ने यह निष्कर्ष निकाला कि उच्च-स्तर के फ्लोराइड (उदाहरण के लिए 1.5 मिलीग्राम/लीटर से ऊपर पानी में) के मापदंडों के अंतर्गत बच्चों में आईक्यू में कमी देखने को मिली है। इस समीक्षा ने यह भी कहा कि जब फ्लोराइड का स्तर 1.5 मिलीग्राम/लीटर से कम हो, तो आईक्यू-प्रभाव के डेटा कम पुख्ता हैं।

इस तरह, दोनों तरह के शोधों को मिलाकर तस्वीर यह बनती है कि सामान्य वर्तमान पानी में मिलने वाला फ्लोराइड स्तर बच्चों के पढ़ने-समझने की क्षमता पर स्पष्ट नकारात्मक असर नहीं दिखा रहा, बल्कि कुछ परिस्थितियों में लाभ भी संकेत कर रहा है। वहीं, बहुत ऊंचे स्तरों पर अध्ययन बताते हैं कि जोखिम संभव है, लेकिन वो स्तर सामान्य सार्वजनिक पानी की आपूर्ति में दुर्लभ है।

ध्यान रखने योग्य है कि बच्चों को केवल पानी से ही नहीं बल्कि अन्य स्रोतों (खाद्य-पेय, सप्लीमेंट्स आदि) से भी फ्लोराइड मिल सकता है। नीति-निर्माण के दृष्टिकोण से यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संकेत देता है कि फ्लोराइड की “मात्रा, स्रोत और समयावधि” मायने रखती है।

भविष्य में और देश-विशिष्ट शोधों, पानी स्रोतों के मापदंडों और बच्चों के लम्बे-समय अध्ययन की जरूरत होगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भारत जैसे देशों में विभिन्न भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों में फ्लोराइड का क्या प्रभाव रहता है। ये नया रिसर्च बताता है कि जरूरी नहीं कि फ्लोराइड हर स्थिति में नुकसान पहुंचाता हो; वास्तव में सुरक्षित सीमा में इसके इस्तेमाल से दांत और मस्तिष्क दोनों को लाभ हो सकता है, बशर्ते कि उपयोग संतुलित और नियंत्रित हो।

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Created On :   24 Nov 2025 8:43 PM IST

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