तमिलनाडु वालपराई में हाथी ने महिला और उसकी पोती को कुचला

तमिलनाडु वालपराई में हाथी ने महिला और उसकी पोती को कुचला
कोयंबटूर जिले के वालपराई के पास एक दुखद घटना में सोमवार तड़के जंगली हाथियों का एक झुंड एक श्रमिक बस्ती में घुस आया। इस दौरान, 55 साल की एक महिला और उसकी पोती को हाथियों ने कुचलकर मार डाला।

चेन्नई, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। कोयंबटूर जिले के वालपराई के पास एक दुखद घटना में सोमवार तड़के जंगली हाथियों का एक झुंड एक श्रमिक बस्ती में घुस आया। इस दौरान, 55 साल की एक महिला और उसकी पोती को हाथियों ने कुचलकर मार डाला।

यह दुखद घटना सुबह करीब 3:30 बजे वाटर फॉल्स एस्टेट में हुई, जो एक चाय बागान वाला इलाका है और जहां अक्सर जंगली हाथियों का आना-जाना होता है।

वन अधिकारियों के मुताबिक, जंगली हाथियों का झुंड खाने की तलाश में मजदूरों के क्वार्टरों में घुस आया। इस दौरान हाथियों ने एक घर पर हमला कर दिया, जहां 55 साल की असला और उनकी पोती हेमाश्री सो रही थीं। पड़ोसियों को कुछ समझ आता, उससे पहले ही दोनों को हाथियों ने कुचलकर मार डाला। जब तक बचाव दल मौके पर पहुंचा, तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए वालपराई सरकारी अस्पताल भेज दिया गया है।

वालपराई रेंज के वनकर्मी मौके पर पहुंच गए हैं और पूरी घटना की जांच कर रहे हैं।

अधिकारी हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए इलाके में नए चेतावनी सिस्टम और गश्ती दल लगा रहे हैं।

हाथियों के इंसानी बस्तियों में अचानक घुस आने की घटना ने एक बार फिर तमिलनाडु के पहाड़ी इलाकों में बढ़ते मानव और वन्यजीव संघर्ष को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

वालपराई में पिछले कुछ सालों में ऐसी कई दुखद घटनाएं हो चुकी हैं। यहां के हरे-भरे चाय और कॉफी के बागान अक्सर हाथियों के रास्तों (गलियारों) के पास होते हैं, इसलिए हाथियों को इंसानी बस्तियों से होकर गुजरना पड़ता है।

इस साल की शुरुआत में शोलायार के पास एक 42 साल के एस्टेट कर्मचारी की तब मौत हो गई थी, जब वह काम पर जा रहा था और एक अकेले हाथी ने उस पर हमला कर दिया था।

पिछले दिसंबर में एक और घटना में, सिनकोना गांव के पास एक किसान की मौत हो गई थी, क्योंकि सुबह-सुबह उसका अचानक सामना एक हाथी से हो गया था।

वन्यजीव विशेषज्ञ बार-बार होने वाले हमलों का कारण जंगलों के कटने और वहां भोजन की कमी को बताते हैं।

अतिक्रमण, कम होते जंगल और बिजली की बाड़ ने हाथियों के रास्तों को रोक दिया है, जिससे वे अक्सर खाने और पानी की तलाश में लोगों के इलाकों में आने लगते हैं।

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Created On :   13 Oct 2025 9:30 AM IST

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