बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अपने आप में ऐतिहासिक समृद्धि समेटे हुए लौरिया विधानसभा सीट पर परिसीमन से पहले था कांग्रेस का दबदबा , दो बार से जीत रही है बीजेपी

अपने आप में ऐतिहासिक समृद्धि समेटे हुए लौरिया विधानसभा सीट पर परिसीमन से पहले था कांग्रेस का दबदबा , दो बार से जीत रही है बीजेपी
लौरिया विधानसभा सीट सामान्य सीट है, विधानसभा क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ है। इलाके अपने आप में ऐतिहासिक समृद्धि समेटे हुए है। यहां सम्राट अशोक का स्तंभ है, जिस पर धर्म और अहिंसा के आदेश लिखे हुए है। नंदनगढ़ स्तूप में बुद्द के अवशेष है, जो यहां की सांस्कृति और पुरातात्विक महत्वतता को बढ़ाता है

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में लौरिया विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले के अंतर्गत आती है। जबकि संसदीय क्षेत्र वाल्मीकिनगर लगता है। विनय बिहारी यहां से लगातार तीन बार जीत चुके है। 2010 में विनय बिहारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी, जबकि 2015 और 2020 में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर।

लौरिया विधानसभा सीट सामान्य सीट है, विधानसभा क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा से सटा हुआ है। इलाके अपने आप में ऐतिहासिक समृद्धि समेटे हुए है। यहां सम्राट अशोक का स्तंभ है, जिस पर धर्म और अहिंसा के आदेश लिखे हुए है। नंदनगढ़ स्तूप में बुद्द के अवशेष है, जो यहां की सांस्कृति और पुरातात्विक महत्वतता को बढ़ाता है।

विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र वाली है।विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की दिनचर्या कृषि आधारित है। यहां विकास की रफ्तार धीमी है या गायब गायब सा नजर आता है। कई लोग भारत के अन्य राज्यों में यहां नेपाल में पलायन कर जाते है। रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षण संस्थानों की बदहाल स्थिति है।

1957 में स्थापित हुई लौरिया सीट शुरु में एससी वर्ग के लिए आरक्षित थी। लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद यह सामान्य सीट हो गई।1957 से लेकर 2000 तक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा सात बार चुनाव में जीत हासिल की। 2010 में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी, बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गया था। लौरिया में 14 फीसदी एससी, दो फीसदी एसटी वहीं करीब 17 फीसदी मुस्लिम वोटर्स है।

Created On :   16 Oct 2025 1:54 PM IST

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