झारखंड में राजकुमार द्वारकानाथ टैगोर के पसंदीदा कुएं का जीर्णोद्धार

झारखंड में राजकुमार द्वारकानाथ टैगोर के पसंदीदा कुएं का जीर्णोद्धार
Prince Dwarkanath Tagore's favourite well in Jharkhand restored
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। झारखंड में महेशमुंडा रेल के जरिए सफर में कोलकाता (हावड़ा) से 300 किमी से अधिक दूर है। 200 साल पहले इस अवर्णनीय स्थान और ब्रिटिश राज की तत्कालीन राजधानी के बीच कोई रेल लिंक मौजूद नहीं था।

फिर भी, महेशमुंडा के एक कुएं से पानी मध्य कोलकाता में जोरासांको ठाकुरबारी के लिए पहुंचाया जाता था। जोरासांको ठाकुरबारी नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्मस्थान है। राजकुमार द्वारकानाथ टैगोर मानते थे कि महेशमुंडा के कुएं का पानी सबसे शुद्ध है और यह पाचन में मदद करता है।

प्रिंस द्वारकानाथ टैगोर रवींद्रनाथ टैगोर के दादा थे और 1840 के दशक में देश में रेलवे लाइन की योजना बनाने वाले पहले भारतीयों में से एक थे। उनकी कंपनी कैर, टैगोर एंड कंपनी को बाद में ईस्ट इंडियन रेलवे (ईआईआर) - ईस्टर्न रेलवे (ईआर) के के साथ मिला दिया गया। उनकी मृत्यु के लगभग आठ साल बाद 1854 में हावड़ा से रेल सेवा शुरू हुई थी। महेशमुंडा अब ईआर के आसनसोल डिवीजन के मधुपुर-गिरिडीह खंड में एक रेलवे स्टेशन है और वह कुआं अभी भी है, जिसमें औषधीय गुणों वाला पानी है। अब ईआर ने इसे बहाल कर दिया है।ईआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमें इस बात का कोई सुराग नहीं मिला है कि इस कुएं के पानी में औषधीय गुण हैं या नहीं, लेकिन दूर-दूर से लोग इसे चखने के लिए महेशमुंडा आते हैं।


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Created On :   29 May 2023 1:02 AM IST

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