झारखंड में राजकुमार द्वारकानाथ टैगोर के पसंदीदा कुएं का जीर्णोद्धार
फिर भी, महेशमुंडा के एक कुएं से पानी मध्य कोलकाता में जोरासांको ठाकुरबारी के लिए पहुंचाया जाता था। जोरासांको ठाकुरबारी नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्मस्थान है। राजकुमार द्वारकानाथ टैगोर मानते थे कि महेशमुंडा के कुएं का पानी सबसे शुद्ध है और यह पाचन में मदद करता है।
प्रिंस द्वारकानाथ टैगोर रवींद्रनाथ टैगोर के दादा थे और 1840 के दशक में देश में रेलवे लाइन की योजना बनाने वाले पहले भारतीयों में से एक थे। उनकी कंपनी कैर, टैगोर एंड कंपनी को बाद में ईस्ट इंडियन रेलवे (ईआईआर) - ईस्टर्न रेलवे (ईआर) के के साथ मिला दिया गया। उनकी मृत्यु के लगभग आठ साल बाद 1854 में हावड़ा से रेल सेवा शुरू हुई थी। महेशमुंडा अब ईआर के आसनसोल डिवीजन के मधुपुर-गिरिडीह खंड में एक रेलवे स्टेशन है और वह कुआं अभी भी है, जिसमें औषधीय गुणों वाला पानी है। अब ईआर ने इसे बहाल कर दिया है।ईआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमें इस बात का कोई सुराग नहीं मिला है कि इस कुएं के पानी में औषधीय गुण हैं या नहीं, लेकिन दूर-दूर से लोग इसे चखने के लिए महेशमुंडा आते हैं।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   29 May 2023 1:02 AM IST