पिता के निधन के बाद सौतेली मां ही घर की उत्तराधिकारी 

After the death of the father, the step mother is the heir of the house.
पिता के निधन के बाद सौतेली मां ही घर की उत्तराधिकारी 
सौतेली संतानों को हाईकोर्ट की फटकार पिता के निधन के बाद सौतेली मां ही घर की उत्तराधिकारी 

कृष्णा शुक्ला, मुंबई । माता-पिता शब्द के अर्थ में सौतेली मां भी समाहित है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इसका उल्लेख करते हुए पिता के निधन के बाद 65 वर्षीय सौतेली मां को परेशान करनेवाले बेटा-बेटी को घर खाली करने के वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े न्यायाधिकरण के आदेश को कायम रखा है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि पिता के निधन के बाद सौतेली मां ही  विवादित घर की उत्तराधिकारी है। बुजुर्ग महिला जीवन की अंतिम बेला में घर में शांति व आराम से रहने की हकदार है। बस वह घर में किसी नए अधिकार का सृजन न करे। न्यायमूर्ति आरजी औचट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि संयुक्त पारिवार की व्यवस्था नष्ट होने के चलते बुजुर्गों को जीवन के अंतिम पडाव पर भावनात्मक उपेक्षा झेलनी पड़ती और अकेले रहने को मजबूर होना पड़ता है। इससे स्पष्ट होता है कि बुजुर्गों की बढती उम्र समाज में बड़ी चुनौती बन गई है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा व देखभाल पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। मामले से जुड़ी बुजुर्ग महिला के पति की पहली शादी से दो बच्चे थे। पति के निधन के बाद बच्चों के बुरे बर्ताव से तंग आकर बुजुर्ग महिला ने वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए गठित न्यायाधिकरण में आवेदन दायर किया था। न्यायाधिकरण ने 6 सितंबर 2019 को बेटा-बेटी को मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में स्थित घर को 15 दिनों के भीतर  खाली करने का निर्देश दिया था। न्यायाधिकरण के इस आदेश को बेटा-बेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। इस याचिका पर न्यायमूर्ति के सामने सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान बेटा-बेटी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल अपने पिता के कानूनी वारिस हैं। इसलिए घर पर उनका हक है। अपनी सौतेली मां के बुरे बर्ताव के चलते मेरे मुवक्किल(बेटा-बेटी) छोटी उम्र सेअपने नाना-नानी के घर चले गए थे। चूंकि अब एक मिल में काम करनेवाले उनके पिता का निधन हो गया है। इसलिए अब घर पर सिर्फ उनका अधिकार व हक है। वैसे भी उनकी सौतेली मां अपनी बहन के पास रहती है और घर खाली पड़ा है। उन्हें आशंका है कि उनकी सौतेली मां किसी और को मकान दे सकती है। 45 वर्षीय मेरे मुवक्किल मानसिक रुप से कमजोर अपनी बहन की भी देखरेख का जिम्मा संभालते है।  वहीं बुजुर्ग महिला की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि पहली पत्नी के निधन के बाद याचिकाकर्ताओं के पिता ने इस महिला से दूसरा विवाह किया था। याचिकाकर्ताओं से तंग आकर बुजुर्ग महिला अपनी बहन के यहां रहने के लिए गई है। कानून के  अनुसार पति के न रहने पर वह घर की उत्ताराधिकारी है।  मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि मामले से जुडे पक्षकारों के रिश्ते काफी बिगड़ चुके हैं। इसलिए अब याचिकाकर्ताओं काउनके साथ रह पाना मुश्किल है। न्यायमूर्ति ने कहा कि माता-पिता की देखभाल में रोटी-कपड़ा व भोजन के अलावा निवास का भी प्रावधान है। इसके अलावा मेंनटेनेंस एंड वेल्फेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 की धारा 2 के उपनियम डी में माता-पिता का जो अर्थ दिया गया उसके मुताबिक जैविक माता-पिता,सौतेले माता-पिता और दत्तक लेने वाले माता-पिता को भी अभिभावक ही माना जाएगा। इस तरह न्यायमूर्ति ने न्यायाधिकरण के आदेश को न्यायसंगत मानते हुए उसमें हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए बेटा-बेटी की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति ने कहा कि बुजुर्ग महिला अपनी जीवन के अंतिम पडाव पर घर में शांति व आराम से रहने की हकदार है लेकिन वह घर को किसी और को सौंप नहीं सकती।  

Created On :   16 Feb 2023 7:15 PM IST

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