भाजपा के सामने होगी दोनों सीट बचाने की चुनौती 

BJP will face the challenge of saving both the seats
भाजपा के सामने होगी दोनों सीट बचाने की चुनौती 
विधानसभा उपचुनाव भाजपा के सामने होगी दोनों सीट बचाने की चुनौती 

अमित कुमार, मुंबई। पुणे की कसबा पेठ और चिंचवड सीट पर घोषित हुए उपचुनाव के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। भाजपा की विधायक मुक्ता तिलक के निधन से कसबा पेठ सीट रिक्त हुई है। जबकि भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप की मृत्यु से चिंचवड सीट खाली हुई है। पुणे जिले की इन दोनों सीटों पर उपचुनाव 27 फरवरी को होगा। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने कसबा पेठ और चिंचवड दोनों सीटों को अपने पास बरकरार रखने की चुनौती होगी। हालांकि कसबा पेठ पर भाजपा का लगातार बीते 27 सालों से वर्चस्व है। शिवसेना में बगावत और सत्ता परिवर्तन के बाद यह पहला मौका है जब भाजपा-शिंदे गुट और महा विकास आघाडी के बीच सीधी टक्कर होगी। 

साल 1995 से लेकर साल साल 2019 के बीच हुए छह विधानसभा के चुनाव में भाजपा लगातार कसबा पेठ सीट जीत रही है। भाजपा के पुणे सीट से वर्तमान सांसद गिरीश बापट लगातार पांच बार कसबा पेठ सीट से विधायक रह चुके हैं। हालांकि साल 1991 में कसबा पेठ पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे वसंत थोरात ने भाजपा के प्रत्याशी गिरीश बापट को हरा दिया था। अब इस सीट पर करीब 27 साल बाद हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर दोबारा चमत्कार की उम्मीद है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इस उपचुनाव को लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। विधान परिषद की नाशिक स्नातक सीट पर कांग्रेस को अप्रत्याशित झटका मिला है। जिसके लिए कांग्रेस ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। इससे कसबा पेठ सीट का उपचुनाव निर्विरोध होने के आसार बहुत कम नजर हैं। इस बीच भाजपा के खेमे में भी उपचुनाव में उम्मीदवारी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। दिवंगत मुक्ता के पति शैलेश तिलक ने एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारी इच्छा है कि हमारे परिवार के किसी सदस्य को उपचुनाव में टिकट मिले। लेकिन टिकट को लेकर भाजपा जो फैसला करेगी। वो हम लोगों को स्वीकार होगा। भाजपा में मुक्ता के पति शैलेश तिलक, बेटे कुणाल तिलक, भाजपा सांसद गिरीश बापट की बहू स्वरदा बापट, पूर्व नगरसेवक गणेश बीडकर के अलावा कई स्थानीय नेता टिकट के लिएइच्छुक हैं। इससे उम्मीदवारी को लेकर भाजपा को काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कीउम्मीदवार रहीं मुक्ता तिलक को 75 हजार 492 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद शिंदे ने 47 हजार 296 मत हासिल किए थे। वहीं मनसे के प्रत्याशी अजय शिंदे को 8 हजार 284 वोट मिला था। 28 हजार 196 वोटों से जीतने वाली मुक्ता को 50 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस- राकांपा की आघाड़ी और भाजपा-शिवसेना की युति के बीच गठबंधन टूटने के चलते सभी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार गिरीश बापट को 73 हजार 594 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रोहित तिलक ने 31 हजार 322 वोट हासिल किए थे। मनसे के प्रत्याशी रवींद्र धांगेकर को 25 हजार 998 वोट मिले थे। राकांपा के उम्मीदवार दीपक मानकर ने 15 हजार 865 और शिवसेना के प्रत्याशी प्रशांत बढे ने 9 हजार 203 वोट हासिल किए थे। इसके पहले साल 2009, साल 2004, साल 1999 और साल 1995 के विधानसभा चुनाव मेंभाजपा के उम्मीदवार गिरीश बापट को ही इस सीट पर जीत मिली थी।
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चिंचवड सीट पर लक्ष्मण जगताप का रहा है दबदबा  
चिंचवड सीट पर भाजपा के वर्तमानविधायक रहे लक्ष्मण जगताप का दबदबा रहा है। लक्ष्मण ने इस सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीता था। इससे चिंचवड सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा के सामने पुराना प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती होगी।उपचुनाव में भाजपा लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप अथवा लक्ष्मण के भाईशंकर जगताप को उम्मीदवारी दे सकती है। 

कायम रहेगी महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा?
महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा रही है कि किसी विधायक-सांसद के निधन के बाद यदि उस सीट पर उनके परिजन चुनाव लड़ते हैं तो विपक्षी दल उनके सामने उम्मीदवार खड़े नहीं करते। हालांकि फिलहाल विपक्षी महा विकास आघाड़ी के दल उपचुनाव में उतरने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे लक्ष्मण जगताप ने 1 लाख 50 हजार 723 वोट हासिल किए थे। निर्दलीय उम्मीदवार राहुल कलाटे ने 1 लाख 12 हजार 225 वोट हासिल किए थे। निर्दलीय प्रत्याशी कलाटे को राकांपा ने समर्थन दिया था। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार लक्ष्मण जगताप को 1 लाख 23 हजार 786 वोट मिले थे। शिवसेना के टिकट पर लड़ने वाले राहुल कलाटे ने 63 हजार 489 मत हासिल किया था। राकांपा उम्मीदवार विट्ठल ऊर्फ नाना काटे को 42 हजार 553 वोट मिला था। कांग्रेस प्रत्याशी कैलाश कदम को 8 हजार 643 को वोट मिले थे। जबकि साल 2009 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण जगताप ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की थी। चिंचवड सीट साल 2009 में बनी थी। जिसके बाद अब तक के तीन चुनाव में लक्ष्मण जगताप ही जीत रहे थे। 

भाजपा ने ही तोड़ी यह परंपरा-अतुल लोंढे 
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने "दैनिक भास्कर' से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में विधायक अथवा सांसद के निधन के बाद घोषित होने वाले उपचुनाव को निर्विरोध कराने की परंपरा रही है। मगर साल 2019 के बाद भाजपा ने ही इस परंपरा को तोड़ा है। महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल के समय विधानसभा की पंढरपुर, देगलूर और कोल्हापुर उत्तर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी उतारा था। जबकि तीनों सीटों पर सत्तारूढ़ दलों ने दिवंगत विधायकों के परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिया था। इसलिए कांग्रेस की कसबा पेठ सीट पर उपचुनाव लड़ने की पूरी तैयारी है। लोंढे ने कहा कि भाजपा ने अंधेरी पूर्व सीट के उपचुनाव में हारने के डर के कारण मैदान छोड़ दिया था। क्योंकि भाजपा को पता था कि उपचुनाव में हार का असर मुंबई मनपा के आगामी चुनाव पर पड़ सकता है। 

चिंचवड सीट लड़ने को लेकर पवार करेंगे अंतिम फैसला- तपासे 
प्रदेश राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि चिंचवड में पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की उपचुनाव लड़ने की तैयारी है। लेकिन उपचुनाव लड़ने के बारे में अंतिम फैसला राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार करेंगे। 
 
भाजपा को तीन में केवल एक उपचुनाव में मिली जीत 
साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में अभी तक चार सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इसमें से तीन सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे। जबकि एक सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया था। भाजपा को तीन में से केवल एक उपचुनाव में जीत मिल पाई है। सोलापुर की पंढरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार समाधान आवताड़े ने राकांपा के प्रत्याशी भागीरथ भालके को हराया था। नांदेड़ की देगलूर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जितेश अंतापुरकर ने भाजपा उम्मीदवार सुभाष साबने को पराजित कर दिया था। कोल्हापुर उत्तर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जयश्री जाधव ने भाजपा के प्रत्याशी सत्यजीतकदम को हराया था। इसके बाद मुंबई की अंधेरी पूर्व सीट के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी मुरजी पटेल ने पर्चा वापस ले लिया था। इस सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उम्मीदवार ऋतुजा लटके का मुकाबला छह निर्दलीय उम्मीदवारों से था। जिसमें ऋतुजा को जीत मिली थी। 
 

Created On :   21 Jan 2023 6:12 PM IST

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