हाउसिंग सोसाइटी में तय नहीं कर सकते किसी समाज की संख्या
डिजिटल डेस्क , मुंबई। यदि हाउसिंग सोसाइटीवाली इमारत में रहनेवाले लोगों की संख्या को समाज के आधार पर सीमित करने की अनुमति दी जाएगी तो यह समाज को सामुदायिक आधार पर विभाजित करेगा। यह समाज के हित में नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह बात स्पष्ट की है। दरअसल मुंबई की एक सोसायटी ने अपने कुल सदस्यों में से हर समाज के लोगों की संख्या को पांच प्रतिशत तक सीमित करना तय किया था। विभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने सोसायटी की ओर से पारित इस प्रस्ताव के आधार पर अपने उपनियम में बदलाव करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जिसे सोसाइटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने मुंबई के मालाबारहिल इलाके की हाउसिंग सोसायटी की ओर से समाज की संख्या को सीमित करने को लेकर दिए गए उस तर्क को भी अस्वीकर कर दिया जिसके अंतगर्त कहा गया था कि सोसायटी में समाज की संख्या पर अंकुश लगाने से सोसायटी में एक समुदाय का वर्चस्व नहीं बढ़ेगा। न्यायमूर्ति ने कहा किमेरी राय में यदि सोसायटी को अपने उपनियम में इस तरह का संसोधन करने की अनुमति दी गई तो यह समाज को सामुदायिक आधार पर विभाजित करेगा।
न्यायमूर्ति ने अपने फैसले में साफ किया है कि इमारत का निर्माण समुदाय के आधार पर नहीं किया गया था। इमारत के निर्माण के समय सामुदायिक विभाजन से जुड़े उपनियम नहीं थे। यदि सोसायटी की ओर से समुदाय की संख्या सीमित करने से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है तो कोई शख्स यदि अपना फ्लैट बेचना चाहता है तो उसे केवल अपने समुदाय का ही खरीददार खोजना पड़ेगा, जो किएक तरह का संकट रूपी सौदा होगा। इसलिए सोसायटी की ओर से नियमों में बदलाव करने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। मामला दक्षिण मुंबई कि ब्लू हैवन सोसाइटी से जुड़ा है, जिसका 1963 में पंजीयन हुआ था। साल 2008 में सोसाइटी ने आम सभा में हर समाज की संख्या को पांच प्रतिशत सीमित करने के संबंध में प्रस्ताव पारित किया था। विभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने सोसायटी की ओर से पारित इस प्रस्ताव के आधार पर अपने उपनियम में बदलाव करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जिसे सोसायटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी किंतु हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार की ओर से जारी किए गए आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
Created On :   24 March 2023 7:23 PM IST