गौ-मूत्र खरीदने वाला देश का पहला राज्य बना

Chhattisgarh is the first state in the country to buy cow urine
गौ-मूत्र खरीदने वाला देश का पहला राज्य बना
छत्तीसगढ़ गौ-मूत्र खरीदने वाला देश का पहला राज्य बना

डिजिटल डेस्क, रायपुर। ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार मुहैया कराने के मकसद से छत्तीसगढ़ में जहां गोबर की खरीदी हो रही है, वहीं अब चार रुपये लीटर की दर से गौ-मूत्र की खरीदी भी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां गौ-मूत्र की खरीदी की शुरूआत हुई है।

राजधानी में मुख्यमंत्री निवास पर हरेली पर्व का आयोजन किया गया, इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंदखुरी की निधि स्व-सहायता समूह को पांच लीटर गौ-मूत्र 20 रूपए में बेचकर राज्य के पहले विक्रेता बने। निधि स्व-सहायता समूह ने गौ-मूत्र विक्रय की यह राशि भूपेश बघेल के आग्रह पर मुख्यमंत्री सहायता कोष के खाते में जमा की।

मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि गोधन न्याय योजना के बहुआयामी परिणामों को देखते हुए देश के अनेक राज्य इसको अपनाने लगे हैं। इस योजना के तहत अमीर हो या गरीब सभी दो रूपए किलो में गौठानों में गोबर बेच रहे हैं। बीते दो सालों में गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला समूहों के खाते में 300 करोड़ रूपए से अधिक की राशि अंतरित हुई है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी समृद्ध हो, किसान खुशहाल हो यह हमारी कोशिश है। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का खेती में उपयोग करने से खेती की लागत में कमी आएगी। खाद्यान्न की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे जन-जीवन का स्वास्थ्य बेहतर होगा।

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक ग्रामीणों से दो रूपए किलो में गोबर खरीदी के बाद अब चार रूपए लीटर में गौ-मूत्र की खरीदी कर रहा है। दो साल पहले हरेली पर्व के मौके पर ही गोबर खरीदी की शुरुआत हुई थी और अब गौ-मूत्र खरीदने का क्रम शुरू हुआ है।

गोबर के बाद गौ-मूत्र खरीदीने की पहल से राज्य में पशुपालन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ पशुपालक की आय और जैविक खेती को बढ़ावा देना है। राज्य में बीते दो सालों से गोबर की खरीदी और इससे जैविक खाद के निर्माण से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। गौ-मूत्र खरीदी का मकसद गौठानों में इससे जैविक कीटनाशक, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर का निर्माण करना है, ताकि राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक सहजता से उपलब्ध कराया जा सके।

यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना की शुरूआत छत्तीसगढ़ में आज से 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी। इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपये किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। देश- दुनिया में गोबर की खरीदी की गोधन न्याय योजना की बेजोड़ सफलता ही गौ-मूत्र की खरीदी का आधार बनी है। गोबर खरीदी के जरिए बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग के उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए अब गोमूत्र की खरीदी कर इससे कीट नियंत्रक उत्पाद, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर बनाए जाएंगे। इसके पीछे मकसद यह भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके।

(आईएएनएस)

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Created On :   28 July 2022 6:00 PM IST

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