दीपिका पादुकोण की पूर्व मैनेजर करिश्मा को नहीं मिली अग्रिम जमानत  

Deepika Padukones ex-manager Karishma did not get anticipatory bail
दीपिका पादुकोण की पूर्व मैनेजर करिश्मा को नहीं मिली अग्रिम जमानत  
ड्रग्स मामले में एनसीबी ने दर्ज किया है मामला  दीपिका पादुकोण की पूर्व मैनेजर करिश्मा को नहीं मिली अग्रिम जमानत  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बालिवुड ड्रग्स मामले में आरोपी  फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की पूर्व मैनेजर करिश्मा प्रकाश के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने इस मामले की जांच शुरु की थी। एनसीबी ने इस मामले में करिश्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।   इससे पहले करिश्मा ने अक्टूबर 2020 में मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। किंतु सत्र न्यायालय ने करिश्मा के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था। करिश्मा हाईकोर्ट में अपील दायर कर सके इसके लिए उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी गई थी। इसके बाद करिश्मा ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।

न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने करिश्मा के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान करिश्मा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ इस मामले से जुड़े एक आरोपी के बयान के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। मेरे मुवक्किल के घर से कथित रुप से जो मादक सामग्री मिली है, उसका मेरे मुवक्किल से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि मेरे मुवक्किल के घर में उसके दोस्त आते थे। वे अपने साथ क्या लेकर आते थे उसके बारे में उसे जानकारी नहीं थी।  इस पर एनसीबी के वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के मोबाइल फोन की टावर लोकेशन दर्शाती है कि वह ड्रग्स तस्करों के संपर्क में थी।

आरोपी के खिलाफ एनसीबी के पास पर्याप्त सबूत हैं। इसके साथ ही जब आरोपी के घर की तलाशी ली गई तो वहां पर 1.7 ग्राम चरस मिली थी। इसके अलावा दूसरे मादक पदार्थ मिले थे। आरोपी के खिलाफ 27 ए के तहत मामला दर्ज है। जिसमें दस वर्ष की कारावास की सजा का प्रावधान है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि चूंकि आरोपी के घर में पार्टी के लिए कई लोग आते थे और वे क्या लेकर आते थे, प्रथम दृष्टया इसका पता लगाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरुरत है। लिहाजा आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है और उसकी राहत को समाप्त किया जाता है।

खंडपीठ के सामने उठा यह सवाल 
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति के सामने एक प्रश्न उपस्थित किया गया कि क्या एनडीपीएस कानून 1985 के तहत सभी अपराध गैरजमानती हैंॽ फिर भले ही इस कानून के तहत होनेवाले कई अपराधों में दंड के रुप में कारावास की सजा का प्रावधान नहीं है। न्यायमूर्ति ने इस मुद्दे पर मतभेदपूर्ण फैसले के लिए इसे पूर्णपीठ के पास निर्धारण के लिए भेजा है। 

Created On :   16 July 2022 7:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story