जांच में सामने आई बीमारी , 3 माह में 33 महिलाओं ने कराया गर्भपात

Disease revealed in investigation, 33 women got abortion in 3 months
जांच में सामने आई बीमारी , 3 माह में 33 महिलाओं ने कराया गर्भपात
सिकलसेल ने छीना ममत्व जांच में सामने आई बीमारी , 3 माह में 33 महिलाओं ने कराया गर्भपात

चंद्रकांत चावरे , नागपुर। शहर के सिकलसेल समुपदेशन केंद्र से पिछले तीन महीने में 200 से अधिक महिलाओं काे गर्भजल परीक्षण के लिए एक अस्पताल में भेजा गया था। इस दौरान 33 महिलाओं के गर्भस्थ शिशुओं में सिकलसेल एसएस (पीड़ित) प्रकार पाया गया। इन सभी का समुपदेशन कर गर्भपात की सलाह दी गई। इस तरह 12 हफ्ते में 33 महिलाओं ने गर्भपात करवाया है।

200 में से 33 में पाया सिकलसेल
शहर के डागा अस्पताल परिसर में हिमेटोलॉजी सेंटर है। इस सेेंटर में सिकलसेल, थैलेसीमिया, हिमोफिलिया आदि बीमारी की जांच व उपचार के लिए समुपदेशन किया जाता है। पीड़ितों के लिए 5 बेड की व्यवस्था है। यहीं पर सिकलसेल समुपदेशन केंद्र है। यहां सिकलसेल ग्रस्त दंपत्ति जांच व मार्गदर्शन के लिए यहां आते हैं। पिछले तीन महीने में यहां 200 से अधिक दंपत्ति पहुंचे थे। नवंबर, दिसंबर व जनवरी में इन दंपत्तियों को जांच के लिए एक निजी अस्पताल में भेजा गया था। यहां सिकलसेल ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के गर्भजल का परीक्षण किया गया।

सीवीएस टेस्ट के बारे में जानें
सामान्य बोलचाल में जिसे गर्भजल परीक्षण कहा जाता है, उसे मेडिकल की भाषा में सीवीएस टेस्ट कहा जाता है। कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सीवीएस) प्रसव पूर्व कराया जाने वाला टेस्ट है। इस टेस्ट से गर्भस्थ शिशु का अनुवांशिक दोष, अन्य बीमारियों के लक्षण, सिकलसेल, थैलेसीमिया व एनीमिया का आसानी से पता चल जाता है।

समुपदेशन के बाद सहमति
जांच के बाद 33 महिलाओं के गर्भस्थ शिशुओं में भी सिकलसेल होने की पुष्टि हुई थी। केंद्र द्वारा इन दंपतियों को सिकलसेल ग्रस्त बच्चों को जन्म नहीं देने और गर्भपात करवाने की सलाह दी गई। समुपदेशन के बाद इन महिलाओं ने गर्भपात करवाया है। ऐसे मामलों में दंपति में से किसी एक को या दोनों को पहले से सिकलसेल होता है। इस कारण गर्भस्थ शिशुओं में भी यह बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। जांच के बाद सिकलसेल एएस (वाहक) का प्रमाण 4 फीसदी और सिकलसेल एसएस (पीड़ित) का प्रमाण 1 फीसदी पाया गया।

अब डागा में ही गर्भजल परीक्षण 
केंद्र : डागा अस्पताल में गर्भजल परीक्षण केंद्र नहीं होने से एक निजी अस्पताल में भेजा जाता है। निजी अस्पताल का शुल्क भुगतान के बाद सरकारी योजना से मिल जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संबंधितों को शुरुआत में आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ता है। पैसे का जुगाड़ करना पड़ता है, क्योंकि अधिकतर पीड़ित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से होते हैं। अब आगामी मार्च से डागा में ही गर्भजल परीक्षण केंद्र शुरू होने वाला है। सरकारी अस्पताल होने के कारण लोगों को आर्थिक समस्या नहीं आएगी। डागा मे केंद्र शुरू करने के लिए 2014 में प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया था। 2017 से डागा की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा पारवेकर निरंतर इस केंद्र को शुरू करने के लिए प्रयासरत रहीं, तब जाकर इस केंद्र को शुरू करने की मंजूरी मिल पाई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत यह केंद्र शुरू होगा। केंद्र को संचालित करने के लिए सरकार की तरफ से निधि भी उपलब्ध कराई जाने वाली है। केंद्र के लिए पीसीआर, सोनोग्राफी, कलर डॉप्लर, माइक्रोस्कोपी मशीनें व अन्य जरूरी संसाधन मिल चुके हैं। यहां रेडियोलॉजिस्ट, गॉयनाकॉलाजिस्ट, काउंसलर समेत 6 लोगों की टीम सेवा देंगी। इसी महीने केंद्र की टीम मुंबई में प्रशिक्षण के लिए जाएगी। प्रशिक्षण पूरा होते ही डागा में गर्भजल परीक्षण केंद्र शुरू होगा। इसका लाभ पूरे विदर्भ को मिलेगा।
 

Created On :   8 Feb 2023 11:51 AM IST

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