कोविड सेंटर में भारी अव्यवस्थाएं, लापरवाही से परेशान हुए मरीज

Heavy disturbances in Kovid Center, patients disturbed due to negligence
कोविड सेंटर में भारी अव्यवस्थाएं, लापरवाही से परेशान हुए मरीज
कोविड सेंटर में भारी अव्यवस्थाएं, लापरवाही से परेशान हुए मरीज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों को लेकर लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। ताजा मामला हाईकोर्ट की एक दृष्टिहीन अधिवक्ता का प्रकाश में आया है। इनके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो महिला अधिवक्ता, उनके बेटे और भाई को क्वारेंटाइन तो कर दिया गया, पर सुविधाओं को लेकर व्यवस्थाएं "अंधी" हो गईं। इन तीन दृष्टिहीनों ने क्वारेंटाइन सेंटर में 14 दिन कैसे काटे, वही जानते हैं। वहां से निकलने के बाद अधिवक्ता ने अव्यवस्थाओं की पोल खोली। उन्होंने विभिन्न वॉट्सएप ग्रुप पर लिखित रूप से परेशानियों से अवगत कराया। 

11 जुलाई को पति की रिपोर्ट आई थी पॉजिटिव
45 वर्षीय महिला अधिवक्ता दृष्टिहीन हैं। उनके पति पोलियोग्रस्त हैं। 11 जुलाई को पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें मेडिकल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया था। इसके बाद महिला अधिवक्ता, उनके 14 वर्षीय बेटे और 45 वर्षीय भाई को क्वारेंटाइन करने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह है कि महिला के साथ ही उनका बेटा और भाई भी दृष्टिहीन हैं। महिला की मानें तो उन्हीं के निजी चालक के माध्यम से 12 जुलाई को तीनों को वनामति तक पहुंचाया गया। वहां हॉस्टल में काफी संख्या में अन्य लोग भी थे। इन लोगों को 2 दिन वनामति और 12 दिन एमएलए हॉस्टल में रखा गया। इस दौरान उन्हें असुविधाओं का सामना करना पड़ा। 

सभी जगह गंदगी
महिला की मानें तो क्वारेंटाइन सेंटर में साफ-सफाई का बिल्कुल ही ख्याल नहीं रखा जाता था। शौचालय की स्थिति बदतर थी। कोरोनाकाल में स्वच्छता का ख्याल रखना चाहिए। पर ऐसा वहां कुछ भी नहीं था। आरोप यह भी है कि तीनों दृष्टिहीनों को तीसरी मंजिल पर रखा गया। कोई मदद के लिए नहीं आता था। 

रिपोर्ट बता दी गई पॉजिटिव और डॉक्टर कभी देखने नहीं आए
वनामति हॉस्टल मंे दो दिन रहने के बाद तीसरे दिन जांच के लिए तीनों सदस्यों को लॉ कॉलेज के पास किसी प्रयोगशाला ले जाया गया। महिला ने बताया कि पहले हमने अपनी जांच निजी प्रयोगशाला में कराई थी। वहां रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जब मनपा की ओर से जांच कराई गई तो फोन पर रिपोर्ट पॉजिटिव होने की जानकारी दी गई। हमने रिपोर्ट मांगी तो देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद फिर से मेडिकल अस्पताल में एक्सरे किया गया, जहां िकसी तरह के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए। हमें वहां से एमएलए हॉस्टल भेज दिया गया। वहां पर कभी डॉक्टर देखने नहीं आए। दवा एक कागज की पुड़िया में देते थे। किसी को 4, किसी को 5 तो किसी को 3 गोलियां उस पुड़िया में दी जाती थीं। दवा कब और कैसे लेनी है, कोई बताने वाला नहीं होता था।

व्यवस्थाओं को सुधारेंगे
10 हजार से ज्यादा लोग क्वारेंटाइन किए गए हैं। इस बीच इस तरह की कुछ घटनाएं हुई हैं। हम व्यवस्थाओं को बेहतर करेंगे।
-डाॅ. योगेंद्र सवई, स्वास्थ्य अधिकारी, मनपा
 

Created On :   18 Aug 2020 6:18 AM GMT

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