आंगनवाडी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक आंगनवाडी कर्मचारियों को मोबाइल एप आधारित पोषण ट्रैकर में लभार्थियों की जानकारी मराठी में भरने का विकल्प नहीं उपलब्ध करा दिया जाता है तब तक न तो किसी आंगनवाडी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और न ही किसी आंगनवाड़ी केंद्र के खाद्यान्न का वितरण रोका जाए। हाईकोर्ट ने यह निर्देश आंगनवाडी कर्मचारी संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। कोर्ट का यह निर्देश केंद्र व राज्य सरकार दोनों पर लागू होगा।वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि आंगनवाडी कर्मचारियों को पोषण ट्रैकर एप में सारी जानकारी अंग्रेजी में अपलोड व अपडेट करने के लिए कहा गया है। एप में जानकारी अपलोड करने के लिए मराठी का विकल्प नहीं दिया गया है। जिससे आंगनवाडी कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि यदि एप में लाभार्थियों की जानकारी नहीं अपडेट व अपलोड की गई तो न सिर्फ आंगनवाडी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी बल्कि आंगनवाडी केंद्रों को वितरित किए जानेवाले अनाज को भी बंद कर दिया जाएगा।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ ने एप में दो भाषाओं का विकल्प न उलब्ध न कराए जाने पर नाराजगी जाहिर की। खंडपीठ ने याचिका पर जारी पुराने आदेशों पर गौर करने के बाद पाया कि हाईकोर्ट काफी पहले केंद्र सरकार को एप में मराठी भाषा का विकल्प उपलब्ध करने की दिशा में कदम उठाने को कहा था। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि आंगनवाडी कर्मचारियों को अंग्रेजी में जानकारी अपडेट करने के लिए कहना पूरी तरह से अतार्किक है। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि जब तक हमे कोर्ट में यह नहीं दिखाया जाता है कि एप को द्विभाषी यानी उसमें मराठी का विकल्प उपलब्ध करा दिया गया है तब तक आंगनवाडी कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि हम एप के कार्यरत होने की जानकारी सिर्फ हलफनामे में नहीं वास्तव में उसे काम करते हुए देखना भी चाहते है।
खंडपीठ ने कहा कि यह एप किस मंच पर (जैसे प्ले स्टोर) उपलब्ध है इसकी जानकारी भी हमे अगली सुनवाई के दौरान दी जाए। इसलिए जब तक ऐसा नहीं किया जाता है तब तक आंगनवाडी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता है। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि सितंबर 2022 में पोषण ट्रैकर एप को अपडेट कर उसे जारी किया गया है। जो की दो भाषाओं में है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि ऐसा है तो इसकी जानकारी हलफनामे में क्यों नहीं दी गई। यदि यह जानकारी पहले दे दी जाती तो शायद इस याचिका का सुनवाई के लिए उल्लेख नहीं किया जाता। किसी भी आंगनवाडी को यह सूचना नहीं दी गई है कि अपडेट एप जारी किया गया है और उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। अपडेटेड एप किस मंच पर उपलब्ध है इसकी जानकारी भी नहीं दी गई है। इसलिए हम चाहते है कि अगली सुनवाई के दौरान हमे हलफनामे में अपडेटेड एप की पूरे ब्यौरे के साथ जानकारी दी जाए। इसके साथ ही यह भी साफ किया जाए कि केंद्र व राज्य सरकार आंगनवाडियों कर्मचारियों को अपडेटेड एप के इस्तेमाल के विषय में कब तक नोटिस जारी करेंगी। इस सबके अलावा कोर्ट में एप का प्रदर्शन किया जाए कि वह द्विभाषी है। खंडपीठ ने 16 जनवरी 2023 को अब इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
Created On :   14 Jan 2023 7:11 PM IST