विश्व में होमियोपैथी भविष्य की विश्वसनीय उपचार पद्धति होगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विभिन्न बीमारियों के 80 फीसदी मरीजों को मेडिसिन के हाई डोज के कारण किडनी विकार होता है। स्वस्थ रहने के लिए एलोपैथी का उपचार महत्वपूर्ण है, लेकिन हाई डोज की दवाएं लेते रहना घातक साबित होता है, जबकि होमियोपैथी में इसकी संभावना न के बराबर होती है। ऐसा पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी ने कहा। शहर में पहली ऑल इंडिया होमियोपैथी रिसर्च परिषद का आयोजन 18 व 19 मार्च को सुरेश भट सभागृह में किया गया है।
पहले हिस्ट्री, फिर उपचार : परिषद के प्रमुख अतिथि के रूप में तिवारी ने कहा कि होमियोपैथी का डॉक्टर पहले मरीज की दिनचर्या, खानपान, पसंद-नापसंद समेत सारी बातों की पूछ-परख कर मरीज की हिस्ट्री तैयार करता है। उस आधार पर दवाएं देता है। डॉक्टर लक्षण पूछकर उपचार करता है, इसलिए यह कहना पड़ रहा है कि भविष्य में एलोपैथी विश्व में विश्वसनीय उपचार पद्धति होगी।
वैज्ञानिक सत्र से शुभारंभ
ऑल इंडिया होमियोपैथी रिसर्च परिषद का शनिवार को उद्घाटन हुआ। आयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. विलास डांगरे उपस्थित थे। प्रमुख रूप से डॉ. एन. आर. श्रीवास्तव, डॉ. बी. टी. रुद्रेश, डॉ. बी. ए. सिंह, डॉ. नितीशचंद्र दुबे, डॉ. राम सिंह, डॉ. अरुण भस्मे, डॉ. पी. के. शुक्ला आदि उपस्थित थे। सुबह की शुरुआत वैज्ञानिक सत्र से हुई। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अरविंद कोठे ने की। कार्यक्रम में महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ होमियोपैथी मेडिसिन के संचालक डॉ. धनाजी बागुल, डॉ. विश्वंभर मुरकुटे व डॉ. डी. बी. चौधरी, डॉ. चिमथानवाला व मुुंबई के डॉ. जसवंत पाटील ने हिस्सा लिया। संचालन डॉ. राधिका मुरकुटे व आभार प्रदर्शन डॉ. मनीष पाटील ने किया।
Created On :   19 March 2023 12:46 PM IST