मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से बढ़ी आमदनी

In Chhattisgarh, income increased due to the status of farming in fish farming
मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से बढ़ी आमदनी
छत्तीसगढ़ मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से बढ़ी आमदनी

डिजिटल डेस्क, सरगुजा। छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से जहां मछली पालन के लिए सुविधाओं में वृद्धि हुई हैं, वहीं इस व्यवसाय से राज्य में कई महिला स्व-सहायता समूह जुड़ रही हैं। सरगुजा जिले की ऐसा ही एक महिला समूह है जिन्होंने कुंवरपुर डैम में केज कल्चर विधि से मछली पालन कर केवल 10 महीनों में 13 लाख रूपए की आमदनी अर्जित की है।

सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत कुंवरपुर में एकता स्व सहायता समूह की अध्यक्ष मानकुंवर पैकरा ने बताया कि केज कल्चर विधि से मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिला और समूह में तिलापिया और पंगास मछली का पालन शुरू किया। उनके समूह ने लगभग 10 माह पहले मछली पालन करना शुरू किया था। अब तक लगभग 13 लाख रुपये की मछली बेची है। इसके साथ ही लगभग चार लाख की मछली बिक्री के लिए तैयार हो गई हैं। मछली पालन से सभी महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

पैकरा बताया कि मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत उन्हें 18 लाख का अनुदान दिया गया था। इसके पश्चात कलेक्टर कुंदन कुमार ने डीएमएफ से 12 लाख का अनुदान प्रदान किया। समूह के द्वारा प्राप्त अनुदान से कुंवरपुर जलाशय में केज कल्चर मछली पालन का कार्य किया गया। उन्होंने बताया कि मछली पालन के साथ ही समूह की महिलाएं गौठान में विभिन्न प्रकार के रोजगारमूलक कार्य भी करती हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन में पांचवें और मत्स्य उत्पादन में देश के छठवें स्थान पर हैं। प्रदेश में पिछले चार सालों में मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही मछली पालन करने वाले किसानों को 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। राज्य में नील क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के माध्यम से नौ चायनीज हेचरी और 364.92 हेक्टेयर संवर्धन क्षेत्र नया निर्मित हुआ है। इससे राज्य में मत्स्य उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह अब बढ़कर 5.91 लाख टन हो गया है।

राज्य में पिछले चार वर्षों में 2400 से ज्यादा तालाब बनाए जा चुके हैं। इसी के साथ जलाशयों और बंद पड़ी खदानों में अतिरिक्त और सघन मछली उत्पादन के लिए छह बाय, चार बाय चार मीटर के केज स्थापित करवाए गए है। चार वर्षों में 3637 केज स्थापित हुए हैं। इस केज से प्रत्येक हितग्राही को 80 हजार से 1.20 लाख रूपए तक आय होती है। प्रदेश में चार सालों में छह फीड भी निजी क्षेत्रों में स्थापित हो चुके हैं।

(आईएएनएस)

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Created On :   18 Jan 2023 8:01 PM IST

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