निकोप संस्कृति के लिए मराठी भाषा संभालना जरुरी

डिजिटल डेस्क, बुलढाणा। भाषा का प्रखर विरोध अथवा व्देष करने की आवश्यकता नहीं,भाषा का आकस रखने से क्या होगा? एक ही भाषा का आग्रह करना आवश्यक नहीं है। मराठी भाषा बोलना, लिखना तथा पढ़ना आवश्यक है। घरेलू संवाद मराठी में ही होना चाहिए, निकोप संस्कृति के लिए भाषा संभालना आवश्यक है। एेसा प्रतिपादन न्यायाधीश रोहन रेहपाडे ने किया। स्थानीय पारिवारिक न्यायालय में मराठी भाषा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के दुय्यम न्यायालय में मराठी भाषा के इस्तेमाल के लिए जनजागृति हो व मराठी भाषा का संवर्धन के लिए 14 जनवरी से 28 जनवरी को मराठी भाषा पखवाड़ा मनाने के निर्देश दिए थे। उसी के अनुसार 17 जनवरी के दिन पारिवारीक न्यायालय में ‘मराठी भाषा का महत्व व न्यायालयीन कामकाज में मराठी भाषा का इस्तेमाल’ इस विषय पर परिसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस समय पत्रकार रणजीतसिंग राजपूत प्रमुख के रुप में उपस्थित रहे। अध्यक्ष स्थान पर न्यायाधीश रेहपाडे की उपस्थिति रही। प्रस्तावना पारिवारिक न्यायालय के विवाह समुपदेशक जगन्नाथ कांबले ने किया। कार्यक्रम की सफलता के लिए अधीक्षक दिगंबर खर्चे तथा संतोष मानकर, असलम शेख, प्रकाश तायडे आदि कर्मचारियों ने प्रयास किया।
Created On :   21 Jan 2023 5:09 PM IST