जॉनसन एंड जॉनसन को हाईकोर्ट से मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेबी पाउडर बनानेवाली कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के पाउडर के उत्पादन से जुड़े लाइसेंस को रद्द करने से जुड़ा आदेश जारी करने में दो साल का समय लगाने के लिए राज्य सरकार के अन्न व औषध प्रशासन (एफडीए) को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति एसजी दिघे की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मिलिंद मोरे से पूछा कि "जॉनसन एंड जॉनसन' कंपनी के बेबी पाउडर के लाइसेंस को रद्द करने से जुड़ी कार्रवाई करने में दो साल से अधिक का समय क्यों लगाया गया। इस दौरान खंडपीठ ने पाया कि पाउडर के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर पुराने नियमों का सहारा लिया गया है। जांच भी पुराने नियमों के तहत की गई है।जबकि इन नियमों को केंद्र सरकार ने निष्क्रिय घोषित कर दिया है। एफडीए ने पिछले साल जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर को बच्चों की त्वचा के लिए हानिकारक मानते हुए कंपनी के पाउडर बनाने के लाइसेंस को रद्द कर दिया था। एफडीए के इस फैसले को कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
"कोरोना का बहाने बनाने पर लगाएंगे जुर्माना'
खंडपीठ के सवालों के जवाब में सरकारी वकील मोरे ने कहा कि कोरोना के चलते एफडीए के अधिकारी शीघ्रता से कार्रवाई नहीं कर सके। सरकारी वकील की ओर से दी गई इस दलील को अस्वीकार करते हुए खंडपीठ ने कहा कि एफडीए नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे को देख रहा है। ऐसे में एफडीए से अपेक्षा है कि वह ऐसे मामलों में दो दिन के भीतर कार्रवाई करे न की दो साल बाद। खंडपीठ ने कहा कि क्या कोरोना काल पूरी दूनिया का काम बंद हो गया था। क्या राज्य सरकार के अधिकारियों ने नवंबर 2019 से सितंबर 2022 के बीच बाहर निकलना बंद कर दिया था। एफडीए के पास सार्वजनिक स्वास्थ्य का जिम्मा है। खंडपीठ ने कहा कि थोड़ी देर के लिए मान ले कि कंपनी का उत्पाद बेबी पाउडर सेहत के लिए घातक है और घटिया दर्जे का है लेकिन एफडीए कार्रवाई को लेकर सुस्त क्यों रहा। एफडीए की ओर से पाउडर के उत्पादन का लाइसेंस रद्द करने को लेकर 15 सितंबर 2022 को आदेश जारी किया गया था लेकिन इसे तीन महीने बाद अमल में लाया गया। जिसे कंपनी हाईकोर्ट में चुनौती दी है
कंपनी का दावा, जांच में सही पाया गया बेबी पावडर
कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम ने कहा कि दो प्रयोगशालाओं में बेबी पाउडर की जांच की गई है। पाउडर एफडीए के तय मानकों के अनुरुप पाया गया गया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एफडीए ने पुराने नियमों के तहत पाउडर के नमूनों की जांच की है। इस आधार पर ही कंपनी के खिलाफ जारी किया गया एफडीए का आदेश रद्द किया जा सकता है। इसलिए एफडीए अपने आदेश को वापस लेगा की नहीं। इस पर सरकारी वकील ने निर्देश लेने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 6 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   3 Jan 2023 7:02 PM IST