मटमैला हुआ जीवनदायिनी इरई नदी का पानी

डिजिटल डेस्क, पडोली (चंद्रपुर)। बिजली उत्पादन केंद्र द्वारा निकलने वाली राख पाइप-लाइन से बिजली उत्पादन केंद्र से जुनाड़ा तालाब में पानी के पाइप-लाइन के प्रेशर से छोड़ी जाती है जो जगह-जगह पाइन लाइन लीकेज होने से इरई नदी में बिजली केंद्र की राख 16 मार्च को घुल जाने से नदी का पानी मटमैला हो गया। जीवनदायीनी कहे जाने वाली इरई नदी का पानी एक दर्जन से अधिक गांव के निवासी पेयजल के रूप में उपयोग करते हैं। यह मटमैला पानी पीने से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम पड़ सकता है।
प्रशासन नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलबध कराने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं पर करोड़ों का खर्च करता है। बिजली केंद्र के पाइप-लाइन की मरम्मत के लिए ठेकेदार को ठेका दिया जाता है किंतु ठेकेदार उचित तरीके से पाइप-लाइन के लीकेज की मरम्मत नहीं करते। नतीजा पानी लीक होने से जन स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।
दो वर्ष पूर्व इरई नदी में मछलियां मृत पाई गई थीं तब से मछली और मेंढक नहीं दिखाई देते हैं। आसपास के गांव के निवासी अपने मवेशियों को नदी का पानी पिलाते हंै और लखमापुर के नागरिक नदी में नहाने के लिए जाते हैं किंतु गुरुवार को कोई नहाते हुए दिखाई नहीं दिया।
नहाने योग्य भी नहीं रहा पानी
लखमापुर निवासी लवलेश निषाद ने इरई नदी का पानी देखा तो पानी मटमैला होने की वजह से नहाने के लायक नहीं है। इसलिए कोई व्यक्ति नहाते नहीं दिखा है। - लवलेश निषाद, ग्रापं सदस्य, लखमापुर
Created On :   17 March 2023 5:32 PM IST