मुगलशाही स्वीकार कर चुकी है राकांपाः बावनकुले

डिजिटल डेस्क, मुंबई। औरंगजेब को लेकर राकांपा के वरिष्ठ नेता जीतेंद्र आव्हाड के बयान को लेकर भाजपा और बालासाबांची शिवसेना आक्रामक हो गई है। बवाल बढ़ता देख आव्हाड ने भी नरम रुख अपना लिया है। आव्हाड ने मंगलवार को कहा कि मैंने औरंगजेब का बचाव नहीं किया है। इस बीच गृह विभाग ने आव्हाड की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला लिया है।
मंगलवार को ठाणे के भिवंडी में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राकांपा अब वह राकांपा नहीं रही है। राकांपा ने अब मुगलशाही स्वीकार कर लिया है। बावनकुले ने कहा कि नागपुर के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अजित पवार ने सदन में कहा था कि छत्रपति संभाजी महाराजधर्मवीर नहीं थे। उनकी संभाजी महाराज के बारे में की गई टिप्पणी अत्यंत घृणास्पद है।अजित को महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगनी चाहिए। जबकि राकांपा के पूर्व मंत्री आव्हाड का एक विशेष समुदाय के वोटों के लिए मुगल बादशाह औरंगजेब के प्रति प्रेम झलक रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन भर औरंगजेब के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे। स्वराज्य को बचाने के लिए उनके लाखों सैनिकों ने अपनी जान दे दी। लेकिन आव्हाडकह रहे हैं कि औरंगजेब क्रूर और हिंदू विरोध नहीं था। आव्हाड अपने निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा चुनाव जीतने के लिए वोटों की राजनीति कर रहे हैं। वे इतिहास को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसको महाराष्ट्र के लोग सहन नहीं करेंगे। आव्हाड को अपना बयान वापस लेना चाहिए।
अजित के समर्थन में उद्धव की शिवसेना
इस बीच मंगलवार को लगातार दूसरे दिन अजित के खिलाफ भाजपा का आंदोलन जारी रहा। दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में अजित का बचाव किया गया है। इस पर बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले "सामना'का आतंरिक और बाहरी रंग हरा हो गया है। मेरी उद्धव को सलाह है कि वे "सामना' में शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का नाम प्रकाशित न करें। दूसरी ओर शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भाजपा के नेताओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया है। भाजपा को पहले राज्यपाल को हटाने और अपने दल के नेताओं को माफी मांगनी के बारे में बोलना चाहिए।
अजित ने संभाजी महाराज का अपमान नहीं किया- सुप्रिया सुले
वहींअहमदनगर में राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है सत्तारूढ़ दल ही सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहा है। भाजपा के लोगों को अजित का बयान ध्यान से सुनना चाहिए। अजित ने संभाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है। अजित के बयान को लेकर इतिहासकारों के साथ विमर्श किया जा सकता है।
बदले आव्हाड के सुर, अब कहा औरंगजेब बेहद क्रूर था
इस बीच पूर्व मंत्री व राकांपा विधायक आव्हाड ने औरंगजेब को लेकर दिए गए बयान पर यू टर्न ले लिया है। आव्हाड ने दावा करते हुए कहा कि मीडिया ने मेरे बयान को तोड़मरोड़कर पेश किया है। मेरा अभी भी मत है कि औरंगजेब बेहद क्रूर था। उसने अपने चाचा और भाई को मारा और अपने पिता को जेल में डाल दिया था। लेकिन औरंगजेब के आगे महाराष्ट्र कभी झुका नहीं। आव्हाड ने कहा कि संभाजी महाराज स्वराज्य रक्षक थे। मतलब धर्मवीर थे। स्वराज्य में ही धर्म होता है। उसी धर्म का रक्षण संभाजी महाराज ने किया था। शिवाजी महाराज ने जिस स्वराज्य की स्थापना की थी उसका रक्षण संभाजी महाराज ने जीवन भर किया था। इसलिए संभाजी महाराज स्वराज्य रक्षक थे। लेकिन एक धर्म से उनका नाम जोड़कर उन्हें धर्मवीर कहने का कोई कारण नहीं है। संभाजी महाराज के धर्मवीर होने का इतिहास में कहीं पर भी उल्लेख नहीं है। यदि ऐसा उल्लेख होता तो माधव गोलवलकर और वीर सावरकर अपनी किताबों में संभाजी महाराज के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग नहीं करते। भाजपा को गोलवलकर और सावरकर की टिप्पणी को लेकर जवाब देना चाहिए। इसके पहले सोमवार को आव्हाड ने कहा था कि औरंगजेब क्रूर और हिंदू विरोधी नहीं था।
"इतिहास को मिटाने, उसे बदलने के प्रयासों की जितनी भी निंदी की जाए वह कम है।औरंगजेब को लेकर किसका प्यार उमड़ रहा है? जिस औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को परेशान किया, महाराष्ट्र में कई मंदिरों को तोड़ा, हमारी माताओं-बहनों पर अत्याचार किया। ऐसे व्यक्ति के प्रति प्रेम दर्शाने वालों की मनोवृत्ति को समझा जा सकता है। छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति उनका प्रेम उनकी इस दृष्टिकोण में झलकता है।' एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री
Created On :   3 Jan 2023 7:08 PM IST