सेवानिवृत्ति के बाद नहीं ठहरा सकते पेंशन के अयोग्य

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सेवानिवृत्ति के सात साल बाद भी पेंशन से वंचित एक सहायक शिक्षक को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत दी है। इससे पहले राज्य सरकार ने सहायक शिक्षक केपी पवार को यह कहते हुए पेंशन के लिए अपात्र ठहरा दिया था कि जब वे सेवा में थे तो उनके पास डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) की योग्यता नहीं थी। इसलिए उन्हें अनट्रेंड शिक्षक माना गया है। राज्य सरकार के इस रुख के मद्देनजर पवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सरकार के इस रुख को नियम के विपरीत बताया गया था और इसे रद्द करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता 31 मई 2020 को अपने पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई। खंडपीठ ने कहा कि सेवानिवृत्त के बाद याचिकाकर्ता को इस आधार पर पेंशन के अयोग्य नहीं ठहरा सकता कि सालों तक सेवा देने के बाद उन्हें यह कहा जाए कि शिक्षा देने के दौरान डीएड की योग्यता नहीं थी। इस दौरान खंडपीठ ने औरंगाबाद खंडपीठ के एक फैसले का ज़िक्र किया। जिसमें कहा गया था कि पेंशन कोई कृपा नहीं यह अधिकार है। जो किसी भी सेवारत कर्मी को लंबी सेवा के फलस्वरूप मिलता हैं। यह समाज कल्याण का एक उपाय है। ताकि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी स्वयं को असहाय न महसूस करें। इस आधार पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पेंशन व उससे जुड़े लाभ का हकदार माना और सरकार को 6 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को पेंशन व पेंशन से जुड़े लाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया।
Created On :   29 Aug 2020 5:24 PM IST