अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी, टीबी एंड चेस्ट ओपीडी में आने वाला हर 5वां मरीज पीड़ित

Number of patients suffering asthma and tuberculosis increased
अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी, टीबी एंड चेस्ट ओपीडी में आने वाला हर 5वां मरीज पीड़ित
अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी, टीबी एंड चेस्ट ओपीडी में आने वाला हर 5वां मरीज पीड़ित

डिजिटल डेस्क,नागपुर। अस्त-व्यस्त दिनचर्या व बढ़ते पोल्यूशन के चलते अस्थमा के मरीजों की संख्या में भी बढोतरी हो रही है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) के टीबी एंड चेस्ट के ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले मरीजों में से करीब 20 फीसदी मरीज सिर्फ अस्थमा के उपचार के लए पहुंचते हैं। अस्थमा के मरीजों को भर्ती करने की सुविधा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में है।


शहरी बच्चे ज्यादा प्रभावित
वाहन प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत ही घातक साबित होता दिखाई पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 1.5 से 2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। विशेष बात यह है कि बच्चों में अस्थमा के प्रमाण पिछले दो सालों से बढ़े हैं। शहरी बच्चों में अस्थमा ज्यादा बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 40 लाख बच्चों में हर साल नए मामले सामने आते हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा 3.5 लाख है। ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (गीना) द्वारा 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम है-लक्षणों का मूल्यांकन, जांच रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उसका निरीक्षण और परीक्षण करते हुए आगे उपचार करें।

घर के अंदर भी प्रदूषित वायु
सामान्य तौर पर एक व्यक्ति 90 फीसदी व नौकरी करने वाला करीब 50 से 60 फीसदी समय घर पर रहता है। घर के अंदर धूल कण, जानवरों के बाल और उनकी उपस्थिति, किसी भी प्रकार का धुआं आदि अस्थमा के कारण बन सकते हैं। 
मौसम बदलते समय बढ़ते हैं मरीज : मौसम बदलाव के कारण सांस की नलियों में कई बार सूजन बढ़ने के कारण परेशानी होती है। यही वजह है कि बारिश और सर्दी के मौसम में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 30 से 40 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।  

डाक्टर की सलाह पर ही दवा लेना उचित
वातानुकूलित चार पहिया वाहन और मेट्रो मरीजों को राहत देने वाले हैं। अस्थमा के लिए धूल व प्रदूषण से बचें। उपचार में गोलियाें की जगह इन्हेलर ज्यादा कारगर साबित होता है। चिकित्सक के परामर्श से ही उपचार लें। - डॉ.विक्रम राठी, छाती रोग विशेषज्ञ

Created On :   7 May 2019 8:06 AM GMT

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