उम्रदराज, बीमार व गर्भवती महिला कैदियों की भी हो रिहाई

Old, sick and pregnant women prisoners should also be released
उम्रदराज, बीमार व गर्भवती महिला कैदियों की भी हो रिहाई
उम्रदराज, बीमार व गर्भवती महिला कैदियों की भी हो रिहाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना के चलते जेल से रिहा करने के लिए कैदियों की बनाई गई श्रेणी में महाराष्ट्र संगठित अपराध कानून(एमसीओसी) अवैध गतिविधि प्रतिबंधित कानून(यूएपीए) एनडीपीएस, मनी लॉन्डरिंग, एमपीआईडी कानून, दूसरे राज्यों के कैदियों व विदेशी नागरिकों को शामिल न किए जाने को 130 वकीलों ने अनुचित बताया है और इसको लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, गृहमंत्री,राज्य के पुलिस महानिदेशक (जेल) सहित अन्य लोगों को पत्र लिखा है।

राज्य सरकार की उच्चाधिकार कमेटी ने कोरोना के चलते पेरोल पर रिहा किए जाने वाले  कैदियों की श्रेणियां बनाई है।ऐसे कैदियों को पेरोल पर छोड़ने का फैसला लिया गया जो ऐसे अपराधों में दोषी पाए गए हैं अथवा विचाराधीन कैदी हैं, जिसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है। कमेटी ने 11 हजार कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। लेकिन उपरोक्त कानून के तहत जेलों में बंद कैदियों के बारे में कमेटी ने विचार नहीं किया है। पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह, मिहिर देसाई, गायत्री सिंह सहित अन्य वकीलों ने इस फैसले को अनुचित व हैरानीपूर्ण बताया है।

इसके साथ ही कमेटी को सुझाव दिया है जो कैदी 50 साल से अधिक आयु के हैं और बीमार हैं, दिव्यांग व मानसिक रुप से बीमार और गर्भवती महिला कैदियोंको भी रिहा किया जाए और उनके इलाज की समुचित व्यवस्था की जाए।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कोरोना के चलते जेल में बंद कैदियों की स्थिति का स्वयं संज्ञान लिया थाऔर केंद्र व राज्य सरकारों को कैदियों को उचित अवधि के लिए अस्थायी तौर पर रिहा करने पर विचार करने को कहा था। इसके तहत सरकार ने उच्चाधिकार कमेटी बनाई है। 


 

Created On :   31 March 2020 12:52 PM GMT

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