सर्वज्ञ प्रभु ने दिया समवशरण में दिव्य उपदेश
डिजिटल डेस्क, देवेन्द्रनगर नि.प्र.। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चतुर्थ चरण में दीक्षा पश्चात महामुनि की आहार चर्या संपन्न हुई। तत्पश्चात भगवान को कैवल्य ज्ञान की उत्पत्ति हुई जिससे संपूर्ण चराचर जगत की आद्योपांत प्रत्येक विषय वस्तु की झलक प्रभु के ज्ञान में स्वतरू दिखने लगी। सौधर्म इंद्र ने भगवान की विविध रुपों से अर्चना वंदना की तथा कुबेर ने बारह योजन का समवशरण निर्मित किया जिसकी रचना अद्वितीय थी इस पर भगवान के समीप गणधर रुप में विराजमान होकर दिगम्बर जैन आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज एवं श्री विभव सागर जी महाराज ने जगत को सदुपदेश दिया। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने समवशरण की पूजा की। इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में लगभग 60 जिनविम्बों की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। प्रतिष्ठाचार्य धर्मचंद शास्त्री ने केवल ज्ञान प्रतिष्ठा विधि कराई। प्रतिष्ठाचार्य संकेत जैन विवेक से प्राप्त जानकारी के अनुसार कल मोक्ष कल्याणक विधि संपन्न होगी। जिसमें कृत्रिम अष्टापद पर्वत की संरचना से प्रभु का मोक्षगमन होगा यह जैन धर्मावलंबियों का सबसे उत्कृष्ट अनुष्ठान है। पत्थर तथा धातु से निर्मित अखंड विम्ब को परमात्मा का स्वरूप दिया जाता है। समाज अध्यक्ष एडवोकेट प्रदीप जैन तथा महोत्सव अध्यक्ष डॉ. प्रमोद जैन के साथ उपाध्यक्ष इंद्रचंद्र जैन, अक्षय जैन, सुधीर जैन, संजीव जैन, कल्पना, रितु, अर्चना जैन, रवि जैन बड़बारा, कमलेश जैन, प्रशांत पंकज जैन एवं महिला वर्ग में राजुल साधना जैन, संदीप जैन, गौरी सेठ, राहुल जैन तथा अर्थ व्यवस्थापक कोषाध्यक्ष सतीष जैन, मनीष जैन, संजय जैन, रवींद्र जैन सभी ने आयोजन को लेकर नैतिक व मौलिक जिम्मेदारी का निष्ठा के साथ निर्वहन किया। जैन समाज के सभी सदस्यों द्वारा आयोजन का प्रत्येक चरण सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई जा रही है।
Created On :   26 March 2023 5:54 PM IST