सेवानिवृत्त के दिन पदोन्नति , सैकड़ों किलोमीटर दूर किया तबादला

Promotion on the day of retirement, transferred hundreds of kilometers away
सेवानिवृत्त के दिन पदोन्नति , सैकड़ों किलोमीटर दूर किया तबादला
महाराष्ट्र सेवानिवृत्त के दिन पदोन्नति , सैकड़ों किलोमीटर दूर किया तबादला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट नेराज्य सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग को तीन सरकारी अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पदोन्नति के पद का लाभ देने का निर्देश दिया है। इससे पहले राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के प्राधिकरण ने इन तीनों अधिकारियों को इसलिए पदोन्नति का लाभ देने से मना कर दिया था क्योंकि इन्होंने अपनी पदोन्नति के स्थान पर जाकर प्रत्यक्ष रुप से पदभार ग्रहण नहीं किया था।दरअसल इन तीनों अधिकारियों की पदोन्नती उनके कार्यकाल के अंतिम दिन की गई थी जिससे वे नई पोस्टिंग पर पहुंच नहीं सके।         

मामला सेवानिवृत्ति अधिकारी मारुती गोंधाली,पुष्पालता पवार, व सुरेश कुलकर्णी से जुड़ा है। कुलकर्णी सेवानिवृत्ति से पहले महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद में उपायुक्त के पद पर तैनात थे। 31 मई 2018 को जब कुलकर्णी सेवानिवृत्ति होनेवाले थे। उसी दिन उन्हें संयुक्त शिक्षा निदेशक पद पर पदोन्नती दी गई और नागपुर जाकर इस नया पदभार ग्रहण करने के लिए कहा गया। इसी तरह सेवानिवृत्ति से पहले पुणे में विभागीय सचिव के रुप में तैनात पुष्पलता पवार को सेवानिवृत्ति के दिन ही यानी 31 मई 2018 को पुणे से रत्नागिरी में संयुक्त शिक्षा निदेशक का पदभार ग्रहण करने के लिए कहा गया। जबकि कोल्हापुर में तैनात गोंधाली को भी सेवानिवृत्ति के दिन ही यानी 31 मई 2018 को औरंगाबाद में संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद का पदभार ग्रहण करने के लिए कहा गया। चूंकि समय की कमी के चलते ये तीनों अधिकारी पदोन्नति के पद का पदभार ग्रहण नहीं कर सके। इसलिए राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग ने इन्हें पदोन्नति के पद से जुडा लाभ देने से इनकार कर दिया।  तीनों सेवानिवृत्त अधिकारियों ने शिक्षा विभाग के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र प्रशासकिय न्यायाधिकरण(मैट) में आवेदन दायर किया। न्यायाधिकरण से सेवानिवृत्ति तीनों अधिकारियों को राहत नहीं मिली। इसलिए तीनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने तीनों याचिकाओं पर सुनवाई हुई। 

"उसी दिन पुणे से नागपुर कैसे पहुंचते'
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि तीनों याचिकाकर्ताओं को सेवानिवृत्ति के दिन ही पदोन्नति दी गई। लेकिन उन्हें जिस जगह पदोन्नति दी गई वहां उनके लिए अपने मौजूदा स्थान से उसी दिन पहुंच पाना बेहद मुश्किल था। जैसे कुलकर्णी के लिए पुणे  से उसी दिन नागपुर पहुंचपाना मुश्किल था। क्योंकि नागपुर की दूरी पुणे से 800 किमी है। इसी तरह कोल्हापुर में तैनाता गोधाली के लिए उसी औरंगाबाद पहुचपाना कठिन था। क्योंकि कोल्हापुर से औरंगाबाद 500 किमी है। इसी तरह पुणे में तैनात पवार के लिए उसी दिन रत्नागिरी पहुंचपाना कठिन था। क्योंकि रत्नागिरी पुणे से 350 किमी दूर है। इन तीनों अधिकारियों के लिए अपने पदोन्नति के स्थान पर उसी दिन प्रत्यक्ष रुप से पहुंचपाना असंभव जैसे था। तीनों को दी गई गई पदोन्नती वैध है। इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारी तीनों याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति के पद से ही सेवानिवृत्ति समझे और उन्हें पदोन्नति के पद का लभा दें। इस तरह खंडपीठ ने मामले को लेकर मैट व राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश को खारिज कर दिया।  

Created On :   7 Jan 2023 6:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story