छग में चावल के बाद शक्कर घोटाला

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छत्तीसगढ़ छग में चावल के बाद शक्कर घोटाला

डिजिटल डेस्क, रायपुर। भाजपा के पूर्व मंत्री राजेश मूणत द्वारा चावल घोटाले का मामला सामने लाए जाने के बाद पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने रा’य में शक्कर घोटला हाने का दावा किया है। श्री द्विवेदी सहित प्रकोष्ठ के प्रभारी देवजी भाई पटेल ने मीडिया के सामने दावा किया कि, कुछ अफसरों ने मिलकर बड़ी गड़बड़ी करते हुए 12 करोड़ रुपये की शक्कर खा गए। इन्होंने शक्कर के स्टॉक में अनियमित्ता करते हुए पैसे कमाए। सूरजपुर जिले के केरता ग्राम स्थित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाने से जुड़े मामले को उजागर करते हुए नेताद्वय ने कहा कि, शक्कर कारखाने में लगातार शक्कर स्टॉक में कमी आने संबंधी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन के सहकारिता मंत्रालय ने कुछ महीने पहले जांच दल का तो गठन किया। मगर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जांच दल में अपर पंजीयक एवं जांच अधिकारी एच के नागदेव और सहायक पंजीयक एवं सहायक जांच अधिकारी विकास खन्ना शामिल थे। नेताद्वय ने दावा किया कि शक्कर कारखाने के गोदामों में शक्कर के भौतिक सत्यापन में जांच दल द्वारा कई कमियां पाई गई। जैसे कारखाने द्वारा शक्कर की बोरियों की स्टैकिंग वैज्ञानिक तरीके से नहीं की गई। बारदानों को ऐसे जमाया गया है जिससे उनकी गणना कर पाना संभव ना हो और स्टॉक में गड़बड़ी की जा सके।

मोलासेस बना ही नहीं तो स्टॉक कहां से आया

भाजपा का आरोप है कि कारखाने के रजिस्टर में 28 अप्रैल 2021 को अचानक 220 मिट्रिक टन मोलासेस(शीरा) का अतिरिक्त स्टॉक दर्शाया गया। ऐसा एक दिन में हो पाना मुमकिन नहीं है। दस्तावेज के अनुसार मार्च 2021 के बाद मोलासिस का उत्पादन रोक दिया गया था। कारखाने के दस्तावेजों के आधार पर ही रिकॉर्डेड मोलासिस की मात्रा में भौतिक सत्यापन में 1641 मिट्रिक टन मोलासिस अधिक पाई गई। मोलासिस के संबंध में भारत सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट और दी गई जानकारी में कारखाने के उत्पादन में भारी अंतर है। इसी प्रकार पीपी बैग की जानकारी जो दी गई वह भ्रामक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कारखानों द्वारा दस्तावेजों के मेंटनेंस में हेरफेर,गड़बड़ी हुई और लापरवाही बरती गई है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि कारखाने में स्टॉक जांचा गया। रिकॉर्ड के मुताबिक जितनी शक्कर होनी चाहिए थी उतनी नहीं थी। ईआरपी सॉफ्टवेयर की जांच में पता चला है कि 12 करोड़ 6 लाख 8 हज़ार कीमत की शक्कर की कमी पाई गई। शक्कर की कमी के लिए उक्त सहकारी शक्कर कारखाना के प्रबंध संचालक ,महाप्रबंधक, आदि को जांच दल द्वारा जिम्मेदार ठहराया गया है। कारखाने के प्रबंध संचालक तथा महाप्रबंधक ने घोर लापरवाही करते हुए सुनियोजित ढंग से यह कांड किया है। मगर इनपर कार्रवाई नहीं की गई।

 

Created On :   21 Jan 2023 5:17 PM GMT

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