किसान ने पोकरा योजना का लाभ लेकर पारम्परिक फसलों से जोड़ा बाग को
डिजिटल डेस्क, अकोला। नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना(पोकरा) अंतर्गत पर्यावरण अनुकूल उपायों को मिलाकर खेती का विकास किया जाता है। अकोला जिले में इसी योजना का लाभ लेकर कान्हेरी सरप में एक किसान ने ढाई एकड़ में संतरे की बाग साकार कर इससे किसानों को सुनिश्चित आय का रास्ता नजर आया है। कान्हेरी सरप में दिनेश महादेव ठाकरे ने अपनी प्राचीन कृषि प्रणाली में बदलाव कर पारम्परिक फसलों के साथ फलबाग रोपाई का पूरक विकल्प चुना। जिसके लिए उन्होंने बार्शिटाकली कृषि कार्यालय के माध्यम से पोकरा परियोजना से अनुदान प्राप्त किया। उसी से उन्होंने ढाई एकड़ में संतरे की रोपाई की।
उन्होंने सोयाबीन, कपास, चना की पारंपरिक फसलों के साथ बाग लगाई। मौसम की मार के कारण जो फसल को नुकसान पहुंचता है, इसकी भरपाई इस बाग की आय से होने की उन्हें उम्मीद है। इसके अलावा यह क्षेत्र फलों के पेड़ों से आच्छादित है, जो पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। 'ड्रिप इरिगेशन' से उन्होंने पूरा बगीचे का विकास किया है। उन्हें यह आइडिया दस साल पहले अपने खेत में ढाई एकड़ जमीन पर अमरूद के बाग से आई। अमरूद के उत्पादन ने उन्हें समय-समय पर आर्थिक तनाव से निपटने में मदद की है। जिससे उन्होंने पोकरा परियोजना के अनुदान से संतरा बाग लगाने का तय किया। अब उनका यह बगीचा काफी अच्छा फल-फूल रहा है। शेंदूरजना घाट जिला अमरावती के नर्सरी से उन्होंने जातिवंत संतरे के पौधे लाए और लगाए। इन पौधों को दो साल हुए है। पांच वर्ष के बाद यानी तीन वर्ष में प्रत्यक्ष उत्पादन को शुरूआत होगी।
कृषि विभाग से मिला मार्गदर्शन
भविष्य में हमारा बगीचा निश्चित रूप से हमें लाभान्वित करने की उम्मीद है। नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी(पोकरा) योजना के तहत ड्रिप के साथ दो साल का अनुदान मिला है। इसके अलावा कृषि विभाग ने समय-समय तकनीक मार्गदर्शन भी किया है। संतरा बगीचे को फलदार बनाने से हमे फायदा हुआ।
दिनेश ठाकरे, किसान, कान्हेरी सरप
Created On :   25 March 2023 3:25 PM IST