बंपर आवक से घटे टमाटर के दाम, किसान मायूस जिले में बढ़ाई जाए कोल्ड स्टोरेज और दूसरे उत्पादों के निर्माण की सुविधा

Tomato prices reduced due to bumper arrivals, farmers despair, cold storage and other products
बंपर आवक से घटे टमाटर के दाम, किसान मायूस जिले में बढ़ाई जाए कोल्ड स्टोरेज और दूसरे उत्पादों के निर्माण की सुविधा
मध्य प्रदेश बंपर आवक से घटे टमाटर के दाम, किसान मायूस जिले में बढ़ाई जाए कोल्ड स्टोरेज और दूसरे उत्पादों के निर्माण की सुविधा

डिजिटल डेस्क, सिवनी। जिले में इन दिनों टमाटर के दाम काफी कम हो गए हैं। गली मोहल्लों में हाथ ठेले में सब्जी बेचने वाले दस रुपए के तीन किलोग्राम तक टमाटर बेच रहे हैं जिसका नुकसान किसानों को हो रहा है। जिसका नतीजा है कि किसान अब  फसल को तोडऩे का खर्चा तक नहीं निकाल पा रहे हैं। जिले में शीतगृह या दूसरी कोई सुविधा न होने के कारण टमाटर उत्पादक किसानों को खासा नुकसान हो रहा है। जिससे अब किसानों का इस फसल से मोहभंग होता जा रहा है।

माटी मोल बिक रहा है टमाटर

जिले में पिछले एक माह से टमाटर के दाम लगातार नीचे बने हुए हैं। दस रुपए में दो किलो से लेकर तीन किलो तक टमाटर फुटकर में आसानी से मिल रहे हैं। वहीं थोक में स्थिति और खराब है। मंडी में टमाटर और दूसरी सब्जियों की बंपर आवक हो रही है। जिससे सब्जियों के दाम काफी गिर गए हैं लेकिन सबसे बुरी हालत टमाटर की है। उन्नत कृषि कर तरक्की के सपने देख रहे किसानों को टमाटर के दाम यूं औंधे मुंह गिर जाने के कारण खासी परेशानी हो रही है। कई किसान अब दोबारा टमाटर की फसल न लगाने की बात कह रहे हैं।
अब तो नहीं निकल रही तुड़ाई की लागत

छपारा क्षेत्र में किसानो ने बड़ी संख्या में सब्जियों की खेती की ओर रुख किया है। किसानों ने भटे, शिमला मिर्च के साथ टमाटर की खेती की थी। किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें उनकी फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे और तरक्की मिलेगी। शुरुआत में टमाटर अच्छे दाम पर बिका भी लेकिन बाद में इसके दाम औंधे मुंह आ गिरे।

नहीं हैं संरक्षण, संग्रह और उत्पादों के निर्माण के अवसर

जिले में हर साल ऐसा होता है कि जब फसलों की बंपर आवक होती है तो किसानों को खासा नुकसान होता है। सीताफल, तरबूज से लेकर सब्जियों आदि की किसानी में उत्पादकों को खासा नुकसान होता है। जिले मेंं शीत भंडारण गृह की कोई सुविधा नहीं है। इसके साथ ही टमाटर के दूसरे उत्पाद बनाने के लिए भी किसी तरह के उद्योग आदि नहीं हैं। ऐसे में सिर्फ सब्जी मंडी ही इकलौता विकल्प है। चारों ओर से हो रही बंपर आवक का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है।

अब नहीं उगाएंगे टमाटर

किसानों का कहना है कि टमाटर की खेती में उन्हें फायदा नहीं हुआ। अब तो टमाटर की लागत छोडि़ए टमाटर को तुड़वा कर मंडी तक भेजने की लागत तक नहीं निकल पा रही है। ऐसा ही हाल इस साल लहसुन की फसल का भी हुआ है। जो अभी भी 25 से 30 रुपए किलो बिक रहा है। जबकि बीते वर्षों में इसके दाम आसमान छूते थे।

क्या कहते हैं किसान

अभी कुछ दिनों तक टमाटर के दाम कम थे लेकिन अब फिर से दाम बढऩे लगे हैं। खैर ऐसा उतार चढ़ाव तो आता ही है। प्रशासन को किसानों को सुविधा दिलाने के लिए प्रयास करने चाहिए। कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।
 

Created On :   9 Jan 2023 10:22 PM IST

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