बालिग बेटे की सहमति से विधवा बेच सकती है संपत्ति

Widow can sell property with consent of adult son
बालिग बेटे की सहमति से विधवा बेच सकती है संपत्ति
नागपुर बालिग बेटे की सहमति से विधवा बेच सकती है संपत्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हिंदू परिवार में घर के "कर्ता' (मुखिया) के निधन के बाद परिवार में अगर मृतक की विधवा और बालिग बेटे हों, तो क्या वह महिला अपनी मर्जी से संपत्ति बेच सकती है, कानून के इस जटिल पेंच पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निर्णय दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून में किसी महिला के परिवार का "कर्ता' होने का कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन अगर महिला अपने बालिग बेटों में से किसी एक के साथ मिल कर संपत्ति बेचती है, तो उस बिक्री को सही माना जाएगा।
यह है मामला : दरअसल, यह मामला वर्धा के सेलू तहसील स्थित भूखंड का है। वर्ष 2000 में इसके मालिक गजानन की तबीयत बहुत खराब थी। लिहाजा उसकी पत्नी ने भू-खंड को बेचने का निर्णय लिया। गांव के ही एक खरीददार से 50 हजार रुपए में भूखंड बेचने का सौदा तय हुआ। मां और घर के बड़े बेटे ने 20 हजार अग्रिम राशि लेकर 31 मई 2001 को सेल डीड लगाने के करार पर हस्ताक्षर किए, लेकिन लंबे समय तक सेल डीड नहीं लगवाई। इसके कुछ समय बाद परिवार के बड़े बेटे और छोटे भाइयों ने मिल कर भूखंड किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया। इस कारण दोनों खरीददारों ने परिवार पर मुकदमा कर दिया। निचली अदालत में पहले खरीददार के पक्ष में फैसला आया। निचली अदालत ने माना कि हिंदू अविभक्त कुटंुब अधिनियम के अनुसार मां परिवार की कर्ता थी। ऐसे में उसके द्वारा बेची गई संपत्ति कानून की नजर में वैध थी। वहीं, दूसरे खरीददार का तर्क था कि महिला परिवार की कर्ता नहीं थी, उसके बेटे बालिग थे और नियमानुसार उन्हें संपत्ति बेचने का हक था। ऐसे में यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा।
 

Created On :   5 April 2023 10:54 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story